मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने गुरुवार को यहां द्वारकापुरी स्थित एक कमरे वाले संस्थान पर छापा मारा और देश भर के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों की ‘फर्जी’ डिग्रियों और प्रमाण पत्रों के रैकेट का पर्दाफाश किया।
सील किए गए साईं इंस्टीट्यूट पर कथित तौर पर 10वीं और 12वीं कक्षाओं के प्रमाण पत्रों के अलावा कृषि, इंजीनियरिंग, कानून, होटल प्रबंधन, चिकित्सा विज्ञान, फिजियोथेरेपी और कंप्यूटर विज्ञान जैसे क्षेत्रों में स्नातक और परास्नातक सहित फर्जी डिग्रियां छापने का आरोप है।
जांच से पता चला है कि संस्थान 30-40 विश्वविद्यालयों की डिग्रियां मुहैया करा रहा था, जिनमें छत्तीसगढ़, पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर और केरल जैसे राज्यों के संस्थान शामिल थे।
दस्तावेजों से पता चला कि संस्थान प्रति डिग्री 28,000 रुपये से 72,000 रुपये तक शुल्क ले रहा था, जबकि मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी और नर्सिंग सहायक जैसे क्षेत्रों में डिप्लोमा 50,000-60,000 रुपये में दिए जा रहे थे।
टीम ने नकली स्टाम्प, दस्तावेज, फॉर्म और प्रिंटिंग उपकरण भी जब्त किए। ये स्टाम्प विभिन्न शिक्षा बोर्डों और राज्यों के विश्वविद्यालयों के थे। परिसर में लगे कैमरे भी जब्त किए गए हैं।
डिप्टी कमिश्नर शांतनु शर्मा को शिकायत मिलने के बाद छापेमारी की गई। टीम में रानिया गर्ल्स कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. बीएस भोला, सब-इंस्पेक्टर राजेश कुमार और एएसआई दिनेश कुमार शामिल थे। संस्थान में पहुंचने पर टीम ने पाया कि मालिक सीताराम अनुपस्थित थे और रिसेप्शन और कार्यालय के काम सिर्फ़ चार महिला कर्मचारी ही संभाल रही थीं। कोई अन्य कर्मचारी या छात्र मौजूद नहीं था, जिससे संदेह पैदा हुआ कि संस्थान सिर्फ़ फ़र्जी डिग्रियाँ बेचने के लिए चलाया जा रहा था।
माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए संस्थान में आए एक युवक ने दावा किया कि उसने 30,000 रुपये में अरुणाचल प्रदेश के एक विश्वविद्यालय से जारी बीए की डिग्री खरीदी है। वह वर्तमान में चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री हासिल कर रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि छापे के दौरान जब्त किये गये आपत्तिजनक दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
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