हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने जगाधरी शहर में 12 फैक्ट्रियों को बंद करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन फैक्ट्रियों पर प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों का उल्लंघन करते हुए सीवेज सिस्टम में अनुपचारित अपशिष्ट छोड़ने का आरोप है। इन फैक्ट्रियों में धातु, स्टेनलेस स्टील, रोलिंग मिल और अन्य औद्योगिक कार्यों में लगी इकाइयां शामिल हैं।
यह उल्लंघन तब प्रकाश में आया जब केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान इन कारखानों से एकत्रित अपशिष्ट के नमूने गुणवत्ता परीक्षण में असफल रहे।
सीपीसीबी की एक टीम, जिसे घोर प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों के तीसरे पक्ष के निरीक्षण के हिस्से के रूप में नियुक्त किया गया था, ने यमुनानगर के एचएसपीसीबी अधिकारियों के साथ मिलकर 21 अक्टूबर, 2024 को निरीक्षण किया। टीम में एनआईटी दिल्ली के अधिकारी भी शामिल थे।
निरीक्षण में अपशिष्ट उपचार पद्धतियों में कई कमियां सामने आईं, कारखानों के अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ईटीपी) से एकत्र किए गए नमूनों का प्रदूषण स्तर स्वीकार्य प्रदूषण मानकों से अधिक था।
कारण बताओ नोटिस के अनुसार, इन औद्योगिक इकाइयों ने अनुपचारित अपशिष्ट का निपटान करके जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 24 का उल्लंघन किया है। नोटिस में इस बात पर जोर दिया गया है कि किसी भी अधिकारी या व्यक्ति को जलधाराओं, नदियों, नालों या भूमि में अनुपचारित अपशिष्ट का निर्वहन करने की अनुमति नहीं है।
नोटिस में कहा गया है, “ये इकाइयां संचालन की सहमति (सीटीओ) की शर्तों का उल्लंघन कर रही हैं और एचएसपीसीबी के निर्देशों के अनुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं।”
यमुनानगर स्थित एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी वीरेंद्र सिंह पुनिया ने बताया कि जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 33-ए तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31-ए के तहत 12 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
उन्होंने कहा, “इन इकाइयों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई जाएगी तथा वायु और जल अधिनियमों के तहत संचालन के लिए उनकी सहमति रद्द कर दी जाएगी।”
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