May 28, 2025
National

‘हिंदी को अनिवार्य करना बच्चों पर बोझ’, हुसैन दलवई ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले को बताया गलत

‘Making Hindi compulsory is a burden on children’, Husain Dalwai called Maharashtra government’s decision wrong

महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहली से पांचवीं कक्षा तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किए जाने के फैसले को कांग्रेस के पूर्व सांसद हुसैन दलवई ने बच्चों पर अतिरिक्त बोझ डालने वाला और अनुचित बताया।

उन्होंने कहा कि स्‍कूलों में पहले से ही अंग्रेजी और मराठी की पढ़ाई हो रही है, ऐसे में हिंदी को अनिवार्य कर देना छोटे बच्चों पर अनावश्यक दबाव है। उन्होंने कहा कि जब वे खुद राज्य सरकार में मंत्री थे, तब अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया था, क्योंकि मराठी माध्यम के स्कूलों की संख्या में कमी आ रही थी और अंग्रेजी शिक्षा की मांग बढ़ रही थी। अब हिंदी को जबरन थोप देना एक गलत फैसला है, जो बच्चों की शिक्षा पर असर डालेगा।

दलवई ने कहा कि हिंदी और मराठी की लिपि एक जैसी होने के कारण हिंदी सीखना कठिन नहीं है, लेकिन बचपन में इसे जबरदस्ती थोपना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन करना है, तो वह शांतिपूर्ण होना चाहिए, हिंसा किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हो सकती। इसी संदर्भ में उन्होंने पश्चिम बंगाल में हुए हिंसक प्रदर्शनों और राष्ट्रपति शासन की मांग पर भी आपत्ति जताई और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है। उन्होंने उपराष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर भी नाराज़गी जताई और कहा कि ऐसा आचरण संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ है।

बंगाल की स्थिति को लेकर मिथुन चक्रवर्ती और बीजेपी के अन्य नेताओं के बयानों पर भी उन्होंने नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के शासन को बदनाम करने के लिए जानबूझकर घुसपैठियों और हिंदू-मुसलमान के नाम पर झूठा नैरेटिव गढ़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सब सत्ता में आने की साजिश का हिस्सा है, जिसमें जनता की भलाई नहीं, बल्कि समाज को बांटने का उद्देश्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नफरत की राजनीति कर रही है और विकास की जगह केवल धर्म और जाति के नाम पर देश को बांटने में लगी है।

दलवई ने झारखंड के मंत्री के उस बयान की भी निंदा की, जिसमें उन्होंने मुसलमानों के सड़क पर उतरने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपने हक के लिए गांधी जी के बताए शांतिपूर्ण रास्ते पर चलना चाहिए। किसी भी तरह की हिंसा या भड़काऊ बयानबाज़ी समाज और संविधान दोनों के लिए घातक है।

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