पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को पंजाब को एक जनहित याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें कथित तौर पर एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के पैसे के बदले सेक्स कांड में शामिल होने वाली दो ऑडियो रिकॉर्डिंग के फोरेंसिक सत्यापन की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता निखिल सराफ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश पारित किया।पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य द्वारा उठाए गए सुपुर्दगी के मुद्दे पर हलफनामा प्रस्तुत किए जाने के बाद विचार किया जाएगा।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील अमित शर्मा ने कहा कि यह मामला संस्थागत जवाबदेही के गंभीर पतन को दर्शाता है। उन्होंने अदालत से कहा, “यह ऐसा मामला है जहां संस्थागत चुप्पी हमारे संवैधानिक मूल्यों के मूल पर आघात करती है।”
शर्मा ने तीन-आयामी दलीलें पेश कीं। सबसे पहले, उन्होंने कहा कि याचिका में दो ऑडियो रिकॉर्डिंग दर्ज की गई हैं। एक में, एक पुरुष की आवाज़, जो सार्वजनिक रूप से पहचाने जाने वाले आईपीएस अधिकारी की आवाज़ जैसी है, पैसे देकर सेक्स करने, थ्रीसम का अनुरोध करने और किसी महिला से दूसरे की व्यवस्था करने के लिए कीमत पर मोलभाव करते हुए सुनाई देती है।
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