मंगलवार को हुई अच्छी बारिश के कारण कुरुक्षेत्र में कई सड़कें और निचले इलाके जलमग्न हो गए। झांसा रोड, सेक्टर 3, 5, 7, 13 और 17, अंबेडकर चौक, पैनोरमा और विज्ञान केंद्र के पास, रेलवे रोड और एलएनजेपी जिला नागरिक अस्पताल में जलभराव देखा गया।
जलभराव के कारण लोगों को सड़क पार करने में असुविधा का सामना करना पड़ा। मूसलाधार बारिश के कारण दैनिक जीवन प्रभावित हुआ और कई लोगों के वाहन भी सड़कों पर खराब हो गए, जिससे परेशानी और बढ़ गई।
नरेश शर्मा, जिनकी कार देवी लाल चौक के पास खराब हो गई थी, कहते हैं, “हर साल यही कहानी होती है। बारिश से पहले बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। मैकेनिक गाड़ी की जांच कर रहा है और इसमें मुझे हजारों रुपए खर्च करने पड़ेंगे।”
एक अन्य निवासी राजिंदर कुमार ने कहा, “स्थानीय प्रशासन, नगर परिषद और सरकार ने जल निकासी के बारे में बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन पहली बारिश के बाद ही ये दावे धरे के धरे रह गए। कचरे और पॉलीथीन के कारण नालियाँ जाम पड़ी हैं। कुरुक्षेत्र को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन खराब जल निकासी कुछ और ही कहानी बयां करती है। सरकार को सबसे पहले शहर की जल निकासी पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पानी की निकासी समय पर हो।”
थानेसर नगर परिषद के अधिकारी प्रभावित इलाकों में पहुंचे और पानी निकालने के लिए पंप लगाए गए। इसी तरह शाहाबाद इलाके के कई इलाकों में जलभराव की खबर है, जिसमें रेलवे रोड भी शामिल है, जहां दुकानों और कई घरों में पानी घुस गया।
जिला नगर आयुक्त सतिंदर सिवाच ने बताया, “नालियों की सफाई के लिए टेंडर आवंटित किए गए थे। बारिश के बाद कई इलाकों में जलभराव की खबरें आईं, जिसके बाद नगर परिषद की टीमें मौके पर पहुंचीं, जिसमें इंजीनियरिंग शाखा और सफाई शाखा के अधिकारी शामिल थे। पानी की निकासी के लिए पंप लगाए गए। बारिश के मौसम में लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “यह देखा गया है कि नालियों में फेंकी गई भारी मात्रा में पॉलीथीन और अन्य कचरा नाकेबंदी का मुख्य कारण था। हम निवासियों से अनुरोध करते हैं कि वे नालियों और सड़कों के किनारे कोई भी प्लास्टिक सामग्री और पॉलीथीन न फेंकें क्योंकि वे अंततः जलभराव का कारण बनते हैं।”
इस बीच, जिले में धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बारिश फायदेमंद साबित होगी। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बारिश धान की फसल के लिए फायदेमंद है। इससे किसानों को खेत में नमी बनाए रखने में मदद मिलेगी और बिजली की खपत कम होगी तथा जनरेटर चलाने के लिए डीजल पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।
जानकारी के अनुसार, शाहाबाद में सबसे अधिक 116 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि बाबैन में 105, थानेसर में 92, लाडवा में 17 मिमी तथा इस्माइलाबाद में 13 मिमी बारिश दर्ज की गई।
कृषि उपनिदेशक डॉ. करम चंद ने बताया, “करीब 1.14 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल होगी और बारिश किसानों के लिए राहत लेकर आई है। जिन किसानों ने धान की रोपाई कर दी है, उन्हें एक से दो सिंचाई की बचत होगी, जबकि जो किसान अभी इंतजार कर रहे हैं, उनके लिए खेत रोपाई के लिए तैयार है। यह उन किसानों के लिए भी फायदेमंद होगा, जिन्होंने सीधी बुवाई वाली धान (डीएसआर) तकनीक अपनाई है।”
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