October 13, 2025
National

गुयाना में भी सेवा पखवाड़ा, भारतीय उच्चायोग ने ‘विकसित भारत दौड़’ आयोजित कर वैश्विक शांति का दिया संदेश

Service Fortnight also celebrated in Guyana, Indian High Commission organized ‘Develop India Run’ to give message of global peace

गुयाना के भारतीय उच्चायोग और स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र ने 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाए जा रहे ‘सेवा पर्व’ के तहत जॉर्जटाउन में ‘विकसित भारत दौड़’ का आयोजन किया। इस दौड़ का उद्देश्य राष्ट्र सेवा का संदेश देने के साथ ही स्थिरता, पर्यावरण संरक्षण और वैश्विक शांति के लिए काम करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करना था।

जॉर्जटाउन स्थित भारतीय उच्चायोग ने एक्स पर पोस्ट किया, “यह दौड़ 17 सितंबर से 2 अक्टूबर के दौरान सेवा पर्व (पखवाड़ा) या सेवा को समर्पित पखवाड़े का भी प्रतीक है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है।”

गुयाना सरकार, विभिन्न खेल महासंघों और गुयाना के सामुदायिक संगठनों के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में भारतीय समुदाय के कई सदस्यों और अन्य लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

गुयाना के अलावा मॉरीशस के भारतीय उच्चायोग ने इंदिरा गांधी भारतीय संस्कृति केंद्र (आईजीसीआईसी) के साथ मिलकर पोर्ट लुइस में ‘विकसित भारत दौड़’ का आयोजन किया, जिसमें मॉरीशस के राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त अनुराग श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों के साथ पीएम मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के विजन को साझा किया, प्रवासी भारतीयों को भारत के विकास में योगदान जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया और मॉरीशस के साथ भारत की मजबूत विकास साझेदारी पर प्रकाश डाला।

इसके अलावा, अमेरिका में अटलांटा में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने भारत सरकार के युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले ‘माई भारत’ के साथ मिलकर रविवार को विकसित भारत दौड़ 2025 का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

भारतीय महावाणिज्य दूतावास के अनुसार, ‘रन टू सर्व द नेशन’ थीम के अंतर्गत, मेट्रो अटलांटा के प्रतिभागी 3 किलोमीटर की सामुदायिक दौड़ के लिए एक साथ आए, जिससे यह आयोजन सामूहिकता का एक सशक्त प्रतीक बन गया।

इस आयोजन में सेवा भाव के आदर्शों का जश्न मनाया गया और प्रधानमंत्री मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित किया गया। इसमें भारत के स्वदेशी मूल्यों को भी दर्शाया गया, जिसमें आत्मनिर्भरता, समावेशिता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के सामूहिक आह्वान पर प्रकाश डाला गया।

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