उद्योग विभाग ने जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी), चंबा के माध्यम से भारत सरकार और विश्व बैंक की संयुक्त पहल, एमएसएमई प्रदर्शन को बढ़ाने और गति देने (आरएएमपी) कार्यक्रम पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में सूक्ष्म एवं लघु उद्यम – क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) और एमएसएमई के हरितीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें राज्य में लघु उद्यमों को मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डाला गया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में RAMP कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यान्वित की जा रही विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। सत्रों में महिला उद्यमियों के कौशल विकास को बढ़ावा देने, उद्यमिता को बढ़ावा देने और विक्रेता विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई पहलों पर ज़ोर दिया गया।
वक्ताओं ने प्रतिभागियों को बताया कि ये परियोजनाएँ अगले 18 से 24 महीनों में जिले में क्रियान्वित की जाएँगी और उन्हें जिला उद्योग केंद्र-चंबा के माध्यम से सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। चर्चाओं में सूक्ष्म उद्यमों की उत्पादकता, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में सामान्य सुविधा केंद्रों (सीएफसी) के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया और इस बात पर विचार किया गया कि एमएसई-सीडीपी योजना के तहत सीएफसी कैसे स्थानीय चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और विकास के नए अवसर खोल सकते हैं।
कार्यशाला में लगभग 60 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें चंबा रूमाल, थाल और चप्पल व्यापार में लगे कारीगर समूहों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ पर्यटन क्षेत्र, एफपीओ/एफपीसी और महत्वाकांक्षी उद्यमियों के हितधारक शामिल थे।
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