पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने आज कहा कि आरटीआई आम नागरिकों को सशक्त बनाने का एक शक्तिशाली साधन है, तथा भाजपा इस कानून को कमजोर करने का प्रयास कर रही है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ पर एक बयान में उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार और सोनिया गांधी की दूरदर्शिता ने 12 अक्टूबर, 2005 को इस कानून को लागू करके देश में पारदर्शिता और जवाबदेही की एक नई मिसाल कायम की थी। हालांकि, सत्ता में आने के बाद से भाजपा ने लगातार इस कानून में संशोधन किया है और इसे कमजोर किया है, जिससे आम नागरिकों को इस शक्तिशाली अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
हुड्डा ने बताया कि यह कानून यूपीए के एजेंडे का हिस्सा था, जिसमें मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे जनकल्याणकारी उपाय शामिल थे। उन्होंने कहा, “आरटीआई ने आम लोगों, खासकर समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार दिया। हालांकि, 2014 के बाद से, भाजपा लगातार आरटीआई को कमजोर कर रही है, जिससे देश की पारदर्शिता और लोकतंत्र पर गहरा असर पड़ रहा है।”
उन्होंने कहा कि केंद्रीय और राज्य आयोगों में रिक्त पदों को पारदर्शी और शीघ्रता से भरा जाना चाहिए, आयोगों के कामकाज के मानक स्थापित किए जाने चाहिए और मामलों के समाधान की रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी माँग की कि आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम तुरंत लागू किया जाना चाहिए और आयोगों में पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और महिलाओं को शामिल करके विविधता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
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