पटना, 2 दिसंबर । आमतौर पर पुलिस की जिम्मेदारी सुरक्षा देने की होती है, लेकिन जब अवैध धंधे को रोकने के बजाय पुलिस ऐसे कार्य करने वालों को ही संरक्षण देने लगे तो सवाल उठना लाजमी है।
पटना के दीघा थाना में हाल ही में जांच टीम को एक बैरक में काफी संख्या में शराब की बोतल मिली। इसके बाद तत्काल दीघा थाने के थानेदार रामप्रीत पासवान को निलंबित कर दिया गया और दारोगा फूल कुमार चौधरी और चालक राजेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। वैसे यह कोई पहली घटना नहीं है जब रक्षक ही भक्षक की कहावत को चरितार्थ किया गया हो।
दरअसल, बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून को पालन कराने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। आंकड़ों पर गौर करें तो इससे पहले भी वैशाली जिले में थाना परिसर में सितंबर 2023 में उत्पाद विभाग की टीम ने थाने के परिसर में खड़ी पिकअप में शराब लोड करने के मामले में तस्करों के साथ-साथ पुलिसकर्मियों को रंगे हाथ पकड़ा था।
मामले में थानेदार समेत चार पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज किया गया था। इसके पूर्व अगस्त 2022 में दीदारगंज चेक पोस्ट पर शराब तस्कर से रुपये लेकर छोड़ने के मामले में चार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
वर्ष 2017 में शराब की खेप को रिश्वत लेकर छोड़ने के आरोप में पूरे बेऊर थाना के अधिकारी से लेकर पुलिसकर्मियों पर गाज गिर चुकी है। रोहतास के डेहरी थाने के मुंशी को शराब पीते एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद निलंबित कर दिया गया था।
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