रांची, 18 अप्रैल । झारखंड के मुस्लिम उलेमाओं ने कहा है कि राज्य में मुस्लिम लीडरशिप खत्म करने की साजिश रची जा रही है। तमाम पार्टियां इस साजिश की हिस्सेदार हैं।
मुस्लिम मजलिसे उलेमा नामक संगठन के बैनर तले जुटे उलेमाओं ने गुरुवार को रांची में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पॉलिटिकल पार्टियों की उपेक्षा से झारखंड की 18 फीसदी मुस्लिम आबादी मायूस है। ऐसे में अब यह कौम तीसरे विकल्प की तलाश करेगी।
संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर काशमी ने कहा कि झारखंड की चार आबादी में 80 लाख मुसलमान हैं, लेकिन किसी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टी ने चुनाव में किसी भी मुसलमान को उम्मीदवार नहीं बनाया। आबादी के हिसाब से कम से कम सभी पार्टियों को राज्य की 14 में से कम से कम दो सीटें मुसलमानों को देनी चाहिए थी। इंडिया गठबंधन हो या एनडीए, सभी ने मुसलमानों को मायूस किया है।
उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि लोकसभा और विधानसभा में मुसलमानों का वाजिब प्रतिनिधित्व होगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इंडिया गठबंधन, जो खुद को सेक्युलर होने का दावा करता है, उसने भी मुसलमानों को दरकिनार कर दिया। सभी पार्टियां मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक समझती हैं। लेकिन, अब झारखंड के मुस्लिम जागरूक हो चुके हैं। इसका खामियाजा हमें वोट बैंक समझने वाली पार्टियों को आने वाले लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी भुगतना होगा।
प्रेस कांफ्रेंस में मुफ्ती अतीकुर रहमान काशमी, शहर काज़ी मुफ्ती कमरे आलम का शमी, कारी जान मोहम्मद, हाजी मजहर, शोएब अंसारी, मौलाना गुलजार नदवी, कारी जान मोहम्मद मुस्तफी, मोहम्मद तोहिद आलम, इम्तियाज अहमद, तनवीर अहमद समेत कई उलेमा मौजूद रहे।
Leave feedback about this