April 24, 2024
National

‘नेस्ले’ की बढ़ेगी परेशानी, उत्पादों में अत्यधिक चीनी के इस्तेमाल की खबर के बाद एनसीपीसीआर हुआ सख्त

नई दिल्ली, 18 अप्रैल । एफएमसीजी कंपनी नेस्ले पर अपने बेबी फूड्स प्रोडक्ट्स में अधिक मात्रा में चीनी मिलाए जाने की रिपोर्ट के बाद अब मुसीबत बढ़ रही है।

दरअसल, जो रिपोर्ट नेस्ले के उत्पाद को लेकर सामने आई है, उसके अनुसार भारत सहित एशिया और अफ्रीका के देशों में बिकने वाले बच्चों के दूध और सेरेलेक जैसे फूड प्रोडक्ट्स में कंपनी अतिरिक्त शक्कर और शहद मिलाती है।

इससे पहले भारत सरकार ने हेल्थ ड्रिंक्स के नाम पर बेवरेज बेचने को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया। सरकार ने अपने एक्शन में बताया था कि बाजार में अब बॉर्नविटा जैसे तमाम ड्रिंक्स ई-कॉमर्स साइट पर हेल्थ ड्रिंक्स के नाम से नहीं बेचे जा सकेंगे। हेल्थ ड्रिंक्स को लेकर उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को एक एडवाइजरी जारी की और कहा कि बॉर्नविटा और दूसरे बेवरेज को हेल्थ ड्रिंक कैटेगरी में ना रखा जाए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अब नेस्ले को लेकर जो रिपोर्ट आई है उस पर एफएसएसएआई के सीईओ जी कमला वर्धन रॉ को पत्र लिखा है।

बता दें कि एनसीपीसीआर ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा (l3xlxi) के तहत निर्मित शिशु खाद्य उत्पादों में पाई जाने वाली चीनी सामग्री के बारे में मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लिया है।

इसमें नेस्ले पर आई रिपोर्ट के अनुसार, इस कंपनी द्वारा निर्मित बेबी उत्पादों में अतिरिक्त शर्करा हो सकती है, जो संभावित रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।

ऐसे में शिशुओं की सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए, यह आवश्यक है कि शिशु आहार पोषण गुणवत्ता और सुरक्षा के सख्त मानकों को पूरा करे।

ऐसे में इन चिंताओं को ध्यान में रखकर एनसीपीसीआर ने खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण भारत सरकार से शिशु आहार उत्पादों में चीनी की व्यापक समीक्षा करने को कहा है और इस पर आयोग से जानकारी प्रदान करने की भी मांग की है।

पत्र में लिखा गया है कि यह जांचने का अनुरोध किया जाता है कि उल्लिखित कंपनी के उत्पाद प्रमाणित हैं या नहीं, इसके साथ ही एफएसएसएआई के प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं या नहीं।

इसके साथ ही आयोग को शिशु खाद्य उत्पादों के लिए मानक दिशा-निर्देश प्रदान करने को भी कहा गया है। साथ ही जानकारी मांगी गई है कि कितनी शिशु आहार निर्माण कंपनियां एफएसएसएआई के साथ पंजीकृत हैं। इन कंपनियों की सूची के साथ इनके उत्पादों की भी सूचना आयोग ने मांगी है।

आयोग ने एफएसएसएआई से इसके साथ ही अनुरोध किया है कि मामले की जांच कर इसकी रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर भेजी जाए।

Leave feedback about this

  • Service