शारदीय नवरात्रि की धूम पूरे देश में छाई है। सोमवार को नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जा रही है। वाराणसी के प्रसिद्ध शैलपुत्री मंदिर में सुबह से ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचे और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना की।
यह मंदिर मां दुर्गा के प्राचीन स्थानों में से एक है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को विशेष पुण्य मिलता है।
मंदिर के पुजारी गिरीश तिवारी ने बताया कि आज मां का विशेष श्रृंगार किया गया है। सुबह नहलाने-धुलाने के बाद आरती हुई, जो लगभग डेढ़ घंटे चली। इस दौरान भारी भीड़ रही। उसके बाद थोड़ी शांति हुई। रातभर दर्शन का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है।
मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और भगवान शिव की पत्नी के रूप में जानी जाती हैं। उनका नाम ‘शैल’ यानी पर्वत से जुड़ा है। नवरात्रि में मां के पहले स्वरूप के रूप में उनकी पूजा से भक्तों को शांति और शक्ति मिलती है। माता जी हाथी पर आई हैं, और उस पर ही जाएंगी, और वैसे भी हाथी तो शुभ माना गया है, और माता आई हैं, तो भक्तों पर अपनी कृपा तो बरसाएंगी।
उन्होंने आगे कहा, “यह मंदिर मां शैलपुत्री जी का है। नौ दुर्गाओं के पहले दिन इन्हें पूजा जाता है। नाम ‘शैल’ पर्वत की पुत्री से आया है। जो भी भक्ति से पूजा करता है, मां उसे स्वीकार करती हैं। इस बार मां हाथी पर सवार होकर आई हैं, जो शुभ फल देगा। भक्तों पर उनकी विशेष कृपा बरस रही है। हमने मां को पेड़ा, मालपुआ और अन्य प्रसाद चढ़ाए। प्रशासन ने भी अच्छी व्यवस्था की है।”
अधिवक्ता विनोद पांडेय ने कहा, “आज मां रानी के पहले स्वरूप शैलपुत्री जी का है। वे हिमालय की बेटी हैं और बाबा विश्वनाथ की पत्नी हैं। मां इतनी भोली हैं कि अपार भीड़ के बावजूद सबको आशीर्वाद देती हैं। काशी धर्म की नगरी है, बाबा की पत्नी यहां विराजमान हैं। भीड़ तो बहुत है, लेकिन सब मां का आशिर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।”
राजीव दुबे ने बताया, “शैलपुत्री जी का दिन है, जो भोले बाबा की पत्नी हैं। नवरात्र का प्रथम दिन इनका ही तो है। बनारस के हर कोने से लोग दर्शन के लिए आते हैं। यहां की व्यवस्था शानदार है। अभी भीड़ बढ़ेगी। देर रात से ही श्रद्धालु आ रहे हैं।”