कुरुक्षेत्र-पेहोवा स्टेट हाईवे पर मंगलवार को यात्रा करने वाले लोगों को उस समय परेशानी का सामना करना पड़ा, जब उन्होंने देखा कि सड़क पर दीवार बनाई जा रही है। स्टेट हाईवे के लिए अधिग्रहित अपनी जमीन के लिए उचित मुआवजे की मांग करते हुए एक किसान ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर सड़क पर दीवार बनाकर उसे रोकने की कोशिश की।
बलविंदर सिंह और उनका परिवार ईंटों और मजदूरों के साथ स्टेट हाईवे पर पहुंचे और दीवार बनाने लगे। बलविंदर और उनका परिवार उस जमीन के लिए उचित मुआवजा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जहां से स्टेट हाईवे गुजर रहा है।
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता मिथुन अत्री के अनुसार बलविंदर व उसके परिवार के पास 22 मरला जमीन थी। वर्ष 2010 में बलविंदर ने अपनी जमीन की निशानदेही करवाई तो पता चला कि सालों पहले बनी सड़क इस जमीन से गुजर रही है और उसे अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। निशानदेही के आधार पर पिहोवा कोर्ट में केस दायर किया गया। वर्ष 2013 में कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि या तो मुआवजा दिया जाए या फिर जमीन वापस की जाए, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। वर्ष 2014 में एग्जीक्यूशन पिटीशन दायर की गई और वर्ष 2018 में कोर्ट ने पीड़ित पक्ष को जमीन का कब्जा दे दिया। इसके बाद सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वर्ष 2023 में सरकार का केस खारिज हो गया और उस समय भी पीड़ित पक्ष ने इसी तरह सड़क को जाम कर रखा था। सरकार ने फिर सेशन कोर्ट में नई अर्जी दायर की और हाल ही में पिछले महीने उसे भी खारिज कर दिया गया।
सूचना मिलते ही पुलिस और पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर) के अधिकारी मौके पर पहुंचे और पीड़ित पक्ष को समझाने का प्रयास किया। हालांकि, इस बार पीड़ित पक्ष ने अनुरोधों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और दावा किया कि 2023 में भी तत्कालीन पेहोवा एसडीएम ने इस मुद्दे को हल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार ने सत्र न्यायालय का रुख कर लिया। कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर पुलिस अधिकारियों ने हरकत में आकर मौके से चार लोगों को हिरासत में लिया और ईंटें हटवाईं। बाद में, राज्य राजमार्ग को अवरुद्ध करने के लिए पांच पहचाने गए और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
उनका दावा है कि सरकार ने उन्हें उचित मुआवज़ा दिए बिना उनकी ज़मीन अधिग्रहित कर ली। सरकार को नियमों के अनुसार बाज़ार मूल्य देना चाहिए, नहीं तो ज़मीन खाली कर देनी चाहिए क्योंकि कोर्ट ने 2018 में उन्हें कब्ज़ा दे दिया था।
मंगलवार को पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर) के अधिकारियों ने दावा किया था कि पीड़ित व्यक्ति ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और उसे 5.50 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा दिया गया था। हालांकि, बलविंदर सिंह राशि से असंतुष्ट था और उसने फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसने विभाग को उसे अधिक मुआवजा देने का आदेश दिया। मामला लंबित था और हाल ही में अदालत ने इसे खारिज कर दिया। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि अदालत के निर्देशों और मानदंडों के अनुसार, उचित मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन बलविंदर सिंह ने राज्य राजमार्ग को अवरुद्ध करने का विकल्प चुना जो गलत था।
जानकारी के अनुसार, पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर) के अधिकारी गुरुवार को इस मामले पर चर्चा के लिए कुरुक्षेत्र के डिप्टी कमिश्नर से मिलेंगे। इस बीच, पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा कि वे सरकार के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। राजनीतिक दलों और किसान यूनियन ने भी पीड़ित पक्ष के खिलाफ कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। जेजेपी नेता डॉ. जसविंदर खेहरा आज पीड़ित पक्ष के साथ मौके पर पहुंचे और कहा कि कोर्ट से आदेश मिलने के बावजूद एक परिवार अपने हक का मुआवजा पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। प्रशासन बलविंदर सिंह को न्याय दिलाए और पुलिस के साथ बदसलूकी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे।