भोपाल, 26 अक्टूबर । मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की गर्माहट धीरे-धीरे बढ़ रही है और सभी राजनीतिक दल उम्मीदवारों को तय करने में लगे हैं। भाजपा तो लगभग सभी स्थानों के लिए उम्मीदवार तय कर चुकी है, वहीं कांग्रेस में उम्मीदवार बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है और आने वाले समय में यही बात कांग्रेस के लिए नई चुनौती बनकर खड़ी होने वाली है।
राज्य की 230 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। उसके बाद पार्टी ने दो किस्तों में सात उम्मीदवारों की सीटें भी बदल दी हैं। यह बदलाव कार्यकर्ताओं के विरोध और प्रमुख नेताओं की नाराजगी के चलते किया गया।
कांग्रेस लगातार कहती आ रही है कि वह सर्वे के आधार पर उम्मीदवार तय करेगी और जब उम्मीदवारों की सूचियां जारी की गई, तब प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी यही कहा था कि सर्वे में जिन लोगों के नाम आए हैं उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी सर्वे की ही बात कही औरअब कांग्रेस ने सात उम्मीदवारों को बदला है। एक तरफ जहां पार्टी के बड़े नेता सर्वे के आधार पर उम्मीदवार तय करने की बात कर रहे थे, वहीं बदलाव का जो सिलसिला शुरू हुआ है उसने उन नेताओं को ताकत दे दी है जो अपने अपने इलाके के घोषित उम्मीदवारों में बदलाव लाना चाहते हैं।
इसी के चलते विरोध का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मध्य प्रदेश में इस बार का चुनाव कांटे का है और सरकार किसी भी दल की बन सकती है। जो भी दावेदार हैं वह टिकट पाना चाहते हैं, जब उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाया और इसी के चलते कुछ उम्मीदवारों की सीटों में बदलाव भी किया गया। यही स्थिति कांग्रेस के लिए नई चुनौती बनने वाली है क्योंकि राज्य की 50 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेसी घोषित उम्मीदवार के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और बदलाव की मांग कर रहे हैं।
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