मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सुख्खु ने आज विधायक प्राथमिकता बैठक के दौरान राज्य में प्राकृतिक खेती में किसानों को नामांकित करने के लिए सरलीकृत पंजीकरण फार्म का शुभारम्भ किया तथा कहा कि फार्म किसान ऑनलाइन या ऑफलाइन भर सकते हैं।
सीएम ने कहा कि इच्छुक किसान अब इस फॉर्म को भरकर आसानी से प्राकृतिक खेती से जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, “पंजीकरण फॉर्म, जिसमें किसानों की भूमि, उगाई जाने वाली फसल, उनके द्वारा रखे जाने वाले पशुओं की नस्ल और प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण से संबंधित कुछ अन्य विवरण शामिल होंगे, राज्य की सभी पंचायतों में किसानों के बीच वितरित किए जाएंगे। इससे 2025-26 में राज्य में प्राकृतिक खेती को और बढ़ावा मिलेगा।”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में 1508 किसानों से 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 398.976 मीट्रिक टन प्राकृतिक रूप से उगाए गए मक्के की खरीद की है, जो देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) है। सीएम ने कहा, “आगामी सीजन में प्राकृतिक रूप से उत्पादित गेहूं की खरीद के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिसका एमएसपी 40 रुपये प्रति किलोग्राम होगा। प्राकृतिक रूप से उत्पादित मक्के के आटे के एक किलोग्राम और पांच किलोग्राम के पैकेट ‘हिम भोग’ ब्रांड नाम से उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि 1 फरवरी तक 1054 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से 38.225 मीट्रिक टन मक्की का आटा बेचा गया है, जबकि हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड की थोक इकाइयों के माध्यम से 73.52 मीट्रिक टन मक्की का आटा बेचा गया है।
कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने बताया कि एटीएमए के कर्मचारी खेतों में जाकर किसानों द्वारा भरे गए फॉर्म का सत्यापन करेंगे। उन्होंने बताया कि फॉर्म को पीके3वाई के सीईटीएआरए-एनएफ (प्राकृतिक खेती के कृषि संसाधन विश्लेषण का प्रमाणित मूल्यांकन उपकरण) पोर्टल से जोड़ा जाएगा।