राजकीय आर्य महाविद्यालय, नूरपुर शनिवार को उत्साह से सराबोर हो गया जब यहाँ छात्रों के विविध कौशल का जश्न मनाने के उद्देश्य से एक जीवंत प्रतिभा खोज कार्यक्रम ‘आगाज़’ का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ. अनिल ठाकुर के मार्गदर्शन में महाविद्यालय की सांस्कृतिक समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 120 छात्रों और 1,000 से अधिक दर्शकों ने भाग लिया।
इस पहल ने छात्रों को अपनी छिपी प्रतिभा, खासकर सांस्कृतिक और लोक कलाओं में, तलाशने और प्रदर्शित करने का एक मंच प्रदान किया। एकल और समूह गायन से लेकर हिमाचली नाटी, भांगड़ा जैसी पारंपरिक शैलियों और फाग व खोरिया जैसे हरियाणवी लोक नृत्यों की जोशीली नृत्य प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। रैगिंग विरोधी एक नाटक भी मुख्य आकर्षण रहा, जिसने उपस्थित लोगों की खूब तालियाँ बटोरीं।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानाचार्य ठाकुर के प्रेरक संबोधन से हुई, जिन्होंने सर्वांगीण व्यक्तित्व निर्माण में पाठ्येतर गतिविधियों के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “ये गतिविधियाँ अनुशासन सिखाती हैं, शैक्षणिक प्रदर्शन को बढ़ावा देती हैं, और नेतृत्व, टीम वर्क, संवाद और आत्मविश्वास का पोषण करती हैं।” उन्होंने छात्रों से कक्षा के बाहर भी सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया।
सांस्कृतिक समिति ने, पूरे स्टाफ के सहयोग से, कार्यक्रम का सुचारू संचालन सुनिश्चित किया। कार्यक्रम का समापन डॉ. दिलजीत सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने ‘आगाज़’ को यादगार बनाने के लिए कलाकारों, आयोजकों और उत्साही दर्शकों की प्रशंसा की। परंपरा, रचनात्मकता और युवा ऊर्जा के अपने मिश्रण के साथ, ‘आगाज़’ ने न केवल प्रतिभा का प्रदर्शन किया, बल्कि छात्र जीवन में सांस्कृतिक जुड़ाव के महत्व को भी रेखांकित किया।
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