N1Live Entertainment ‘आंखों की गुस्ताखियां’ रिव्यू : विक्रांत मैसी और शनाया कपूर की प्रेम कहानी इस मानसून की संगीतमय सुकून भरी झप्पी है
Entertainment

‘आंखों की गुस्ताखियां’ रिव्यू : विक्रांत मैसी और शनाया कपूर की प्रेम कहानी इस मानसून की संगीतमय सुकून भरी झप्पी है

'Aankhon Ki Gustakhiyaan' Review: Vikrant Massey and Shanaya Kapoor's love story is a soothing musical hug this monsoon

जी स्टूडियोज और मिनी फिल्म्स की ‘आंखों की गुस्ताखियां’ रोमांस प्रेमियों के लिए ताजगी भरी हवा की तरह है, जो पुराने जमाने की बॉलीवुड प्रेम कहानियों के सहज आकर्षण को एक बार फिर दर्शकों के बीच लेकर आई है, लेकिन आज के जमाने के टच के साथ। एक्शन-थ्रिलर फिल्मों के बीच यह फिल्म सरल और सच्ची कहानी कहने के अंदाज से अपनी अलग पहचान बनाती है।

रस्किन बॉन्ड की कहानी ‘द आइज हैव इट’ से प्रेरित इस फिल्म से अपने अभिनय करियर की शुरुआत कर रही शनाया कपूर ‘सबा’ की भूमिका में हैं। सबा थिएटर की तैयारी के लिए आंखों पर पट्टी बांधकर ट्रेन यात्रा पर निकलती है, लेकिन उसका मैनेजर उसे अकेला छोड़ देता है। मसूरी की ओर जा रही इस यात्रा में उसकी मुलाकात जहां (विक्रांत मैसी) से होती है, जो अनजाने में उसका भरोसेमंद साथी बन जाता है। सफर की परेशानियों के बीच दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता पनपता है, मासूम लेकिन परिपक्व, ख्वाबों सा लेकिन हकीकत से जुड़ा हुआ।

फिल्म में विक्रांत और शनाया की केमिस्ट्री इसे खास बनाती है। विक्रांत मैसी ’12वीं फेल’ और ‘सेक्टर 36’ जैसी गंभीर भूमिकाओं के बाद पहली बार रोमांटिक हीरो के रूप में चॉकलेट बॉय अवतार में आए हैं जिसे दर्शक जरूर पसंद करेंगे। शनाया कपूर का डेब्यू आत्मविश्वास से भरा है। वह अपने डॉयलॉग सहजता से कहती हैं और सबा के किरदार की भावनात्मक गहराई को ईमानदारी से निभाती हैं। बतौर नवोदित अभिनेत्री, वह उनकी उपस्थिति प्रभावशाली है।

मानसी बागला की लेखनी बेहद सरल और दिल से निकली हुई लगती है, जो हर पीढ़ी के दर्शकों से जुड़ती है। फिल्म में आधुनिक डेटिंग की सच्चाइयों को भी बड़ी कोमलता से छुआ गया है, लेकिन इसकी आत्मा में पुरानी रोमांटिक परंपराएं झलकती हैं।

विशाल मिश्रा का संगीत इस फिल्म की धड़कन है। बतौर एकल संगीतकार यह उनकी पहली फिल्म है, और ‘नजारा’ तथा ‘अलविदा’ जैसे गीत कहानी में घुलते हुए भावनाओं की गहराई को और भी बढ़ा देते हैं। ये गीत सिनेमाघरों से निकलने के बाद भी दर्शकों के मन में गूंजते रहते हैं।

विजुअली, यह फिल्म बेहद खूबसूरत है। इसकी प्रोडक्शन डिजाइन और अंतर्राष्ट्रीय लोकेशनों की सुंदरता इसे और भी दिलकश बनाती है। निर्माता मानसी और वरुण बागला ने हर फ्रेम में सिनेमा की भव्यता और बारीकी को बरकरार रखा है, जबकि निर्देशक संतोष सिंह प्रेम की भव्यता और उसकी नरमी दोनों को बड़े ही सलीके से पकड़ते हैं।

‘आँखों की गुस्ताखियां’ एक भावनात्मक, दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी है जो संगीत, मोहब्बत और यथार्थ को खूबसूरती से एक साथ पिरोती है। यह फिल्म हर वर्ग के लोगों के लिए है – युवाओं के लिए जो आज के रिश्तों की जटिलताओं से गुजरते हैं और उन परिपक्व लोगों के लिए भी जो आज भी क्लासिक रोमांस में विश्वास रखते हैं। इस मानसून में यह फिल्म आपके दिल को सुकून और उम्मीद से भर देने वाली एक प्यारी सी झप्पी है।

स्टार: 4 स्टार

निर्देशक: संतोष सिंह

कलाकार: विक्रांत मैसी, शनाया कपूर और जैन खान दुर्गानी

प्रस्तुति: मिनी फिल्म्स और जी स्टूडियोज

निर्माता: मानसी बागला, वरुण बागला और ओपन विंडो फिल्म्स

Exit mobile version