लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज कहा कि स्वीकृत डम्पिंग स्थलों के बाहर मलबा डालने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री ने कहा, “कुछ जगहों पर यह देखा गया है कि ठेकेदार समय और पैसा बचाने के लिए स्वीकृत डंपिंग साइट के बाहर मलबा डाल देते हैं। यह मलबा नदियों और नालों में चला जाता है। हमारा विभाग ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।”
विक्रमादित्य ने सड़कों के किनारे बंद पुलियों को भारी बारिश और बादल फटने की स्थिति में नुकसान बढ़ाने वाला एक और बड़ा कारण बताया। मंत्री ने कहा, “अगर 10 किलोमीटर के रास्ते में पाँच या दस पुलियाएँ हैं, तो उनमें से सिर्फ़ एक ही काम कर रही है। जब नाला अवरुद्ध होता है, तो पानी दूसरा रास्ता ढूँढ़ लेता है और भारी नुकसान पहुँचाता है।” उन्होंने आगे कहा, “हम बंद पुलियों को खोलने की कोशिश करेंगे।”
उन्होंने खुलासा किया कि ग्रामीण इलाकों में कई सड़कें वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के बिना बनाई गई हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। मंत्री ने आगे कहा, “अगर ऐसी कोई घटना सामने आती है, तो दोषी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा और विभाग द्वारा उन्हें चार्जशीट भी दी जाएगी।”
उन्होंने कहा, “विधायकों पर अपने-अपने क्षेत्रों में ज़्यादा से ज़्यादा सड़कें बनवाने का बहुत दबाव है। सभी सरकारों में इस मोर्चे पर उल्लंघन हुए हैं। राज्य में प्राकृतिक आपदाएँ कितनी बार और कितनी विनाशकारी हो गई हैं, इसे देखते हुए अब समय आ गया है कि हम सभी पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दें। पर्यावरण के विनाश की कीमत पर विकास का कोई मतलब नहीं है।”
मंत्री ने कहा कि मणिमहेश, चूड़धार और बिजली महादेव जैसे धार्मिक स्थलों पर सड़क और रोपवे जैसे अनावश्यक विकास कार्यों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, “लोग इस विकास के खिलाफ हैं। सरकार को जनभावना का सम्मान करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि एक निश्चित समय पर इन स्थानों पर आने वाले लोगों की संख्या निश्चित होनी चाहिए।