पश्चिम रेलवे ने अपनी मालवाहक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अब तक 50 डब्ल्यूएजी-12बी इलेक्ट्रिक इंजन अपने बेड़े में शामिल कर लिए हैं।
ये आधुनिक इंजन बिहार के मधेपुरा स्थित इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री में मेसर्स एल्स्टॉम और भारतीय रेल के संयुक्त प्रयास से विकसित किए गए हैं। डब्ल्यूएजी -12 बी एक ट्विन-सेक्शन 25 केवी एसी इलेक्ट्रिक मालगाड़ी इंजन है, जो 12,000 हॉर्स पावर की ताकत रखता है। यह इंजन 6,000 टन से अधिक वजन की मालगाड़ी आसानी से खींच सकता है।
वरिष्ठ डिविजनल मैकेनिकल इंजीनियर (डीएमई) सुमन प्रसाद गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, “इस इंजन में लोको पायलट और सहायक के लिए स्वचालित शौचालय की बेहतर सुविधा जोड़ी गई है, जो पुराने इंजनों में नहीं थी। यह चालक दल की लंबी यात्राओं को आरामदायक बनाती है।”
उन्होंने कहा कि इंजन पर्यावरण अनुकूल है और इसमें सभी कंट्रोल सिस्टम कैबिन में ही हैं। अब लोको को स्टार्ट या बंद करने के लिए ड्राइवर को बाहर जाने की जरूरत नहीं। पुराने इंजन 6,000 हॉर्स पावर के थे, लेकिन यह दोगुनी ताकत वाला है।
गुप्ता ने बताया, “अभी तक हमारे टावर क्षेत्र में 10 इंजन आ चुके हैं। तीन साल में हम 300 इंजनों की होल्डिंग हासिल कर लेंगे।” इस परियोजना के तहत कुल 800 डब्ल्यूएजी-12बी इंजन बनाए जाएंगे। पहला इंजन 2017 में मधेपुरा फैक्ट्री से बाहर आया था और सहारनपुर डिपो में तैनात किया गया। 250 इंजनों के बाद 251 से 500 तक का नागपुर शेड में, जबकि 501 से 800 तक साबरमती शेड में रखरखाव होगा। फिलहाल साबरमती लोको शेड में 50 इंजन होम किए जा चुके हैं।
ये इंजन रेलवे की माल ढुलाई को काफी बढ़ावा देंगे। अधिक क्षमता और आधुनिक तकनीक से गाड़ियां तेज और सुरक्षित चलेंगी, जिससे माल परिवहन लागत कम होगी।
रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचेगा। पश्चिम रेलवे ने इन इंजनों को अपनाकर एक बड़ा कदम उठाया है, जो भविष्य की जरूरतों को पूरा करेगा।