मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही स्कूली पाठ्यक्रम में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर एक अध्याय शामिल करेगी।
अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि सरकार नशा तस्करी में शामिल कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने समाज के हर वर्ग से आग्रह किया कि वे हिमाचल प्रदेश को नशा मुक्त राज्य बनाने के लिए नशा मुक्ति अभियान में हिस्सा लें।
सुखू ने कहा कि राज्य सरकार नशा तस्करी में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने जा रही है। उन्होंने कहा, “मैं राज्य के लोगों को स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं कि देवभूमि में नशे के लिए कोई जगह नहीं है। युवाओं को नशे के खिलाफ लड़ाई में शामिल होना चाहिए और खुद के साथ-साथ दूसरों को भी इस बुराई से बाहर निकलने में मदद करनी चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नशे के नेटवर्क पर नकेल कसने और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के अपने अथक प्रयासों में प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने नशे की लत से उबरने वालों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने और कौशल विकास को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे उन्हें मुख्यधारा के समाज में वापस लाया जा सके।”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सिरमौर जिले के कोटला बड़ोग में 5.34 करोड़ रुपये की लागत से पूर्ण सुसज्जित 100 बिस्तरों वाले नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है तथा इस परियोजना का निर्माण कार्य इसी वर्ष शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय नशा मुक्ति केंद्र स्थापित करने के लिए काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सत्ता में आते ही पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट को लागू करने की मंजूरी दे दी थी, जिसे पिछली भाजपा सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल में लागू नहीं कर पाई थी। उन्होंने कहा, “युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा में लगाने से ही समृद्ध देश का सपना साकार हो सकता है। सरकार ने नशीले पदार्थों के इस्तेमाल और तस्करी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है।”
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नशा विरोधी शपथ भी दिलाई तथा राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने में उत्कृष्ट योगदान देने वाले विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों को सम्मानित किया।