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जीएसटी रेट में कटौती के बाद सरकार को मिसलीडिंग डिस्काउंट को लेकर ग्राहकों की 3000 शिकायतें मिलीं

After the GST rate cut, the government received 3,000 complaints from customers regarding misleading discounts.

उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) की सचिव निधि खरे ने सोमवार को कहा कि जीएसटी रेट्स में हालिया कटौती के बाद सरकार को उपभोक्ताओं से रिटेलरों द्वारा मिसलीडिंग डिस्काउंट्स और अनुचित मूल्य निर्धारण प्रथाओं को लेकर लगभग 3,000 शिकायतें मिली हैं।

एक कार्यक्रम में खरे ने कहा कि हर दिन शिकायतें प्राप्त की जा रही हैं और मंत्रालय आगे की कार्रवाई के लिए उन्हें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को भेज रहा है।

खरे ने पत्रकारों से कहा, “हमें हर दिन शिकायतें मिल रही हैं। अब तक, हमें लगभग 3,000 उपभोक्ता शिकायतें मिली हैं। हम उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए सीबीआईसी को भेज रहे हैं।”

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कई शिकायतों में प्राइसिंग को लेकर डार्क पैटर्न की बात कही गई है, जहां कथित तौर पर रिटेलर जीएसटी रेट कम होने का लाभ ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं।

खरे ने आगे कहा, “अगर अलग-अलग क्षेत्रों से अलग-अलग शिकायतें आती हैं तो वे क्लास एक्शन की पात्र होंगी। हम इस पर नजर बनाए हुए हैं। हम निश्चित रूप से उन मामलों पर ध्यान देंगे जहां, मिसलीडिंग डिस्काउंट्स के साथ ग्राहकों को धोखा दिया जाएगा।”

अपनी निगरानी को मजबूत करने के लिए मंत्रालय विभिन्न क्षेत्रों में शिकायतों को ट्रैक और विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैटबॉट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है।

उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान मिसलीडिंग एड्स और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर है। साथ ही, उन मामलों पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है, जहां जीएसटी सुधार का लाभ ग्राहकों को वस्तुओं और सेवाओं की अंतिम कीमत में नहीं मिल पा रहा।”

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी 2.0 सुधार को लेकर फैसला लिया गया था। इन सुधारों को 22 सितंबर से देश में लागू कर दिया गया है।

इसके अलावा, हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने मेसर्स डिजिटल एज रिटेल प्राइवेट लिमिटेड (फर्स्टक्राई) पर गलत और भ्रामक मूल्य निर्धारण के लिए 2,00,000/- रुपए का जुर्माना लगाया।

यह मामला एक उपभोक्ता की शिकायत से जुड़ा था, जिसमें बताया गया कि फर्स्टक्राई ने उत्पादों पर सभी करों सहित अधिकतम खुदरा मूल्य दर्शाया था, जबकि चेक आउट के समय, छूट वाले मूल्य पर अतिरिक्त जीएसटी लगाया। इससे अधिक छूट का भ्रामक प्रभाव पड़ा और उपभोक्ताओं को अंतिम देय राशि के बारे में गुमराह किया गया।

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