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महाकुंभ नगर में संन्यासी के बाद वैष्णव अखाड़ों की धर्म ध्वजा भी स्थापित

After the Sanyasi, the religious flag of Vaishnav Akharas was also established in Mahakumbh Nagar.

महाकुंभ नगर, 28 दिसंबर । महाकुंभ नगर का अखाड़ा सेक्टर अखाड़ों के विविध धार्मिक आयोजन से भक्ति और अध्यात्म के रंग में सराबोर है। संन्यासी अखाड़ों की धर्म ध्वजा स्थापना के बाद सेक्टर 20 में तीनों वैष्णव अखाड़ों की धर्म ध्वजा स्थापना भी शनिवार को पूरी हो गई। वैष्णव अखाड़ों में भी महाकुंभ के विभिन्न अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे।

महाकुंभ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में भक्ति और अध्यात्म का रंग चढ़ने लगा है। संन्यासी अखाड़ों के बाद अब वैष्णव परंपरा के तीनों अखाड़ों ने सेक्टर 20 के त्रिवेणी मार्ग में स्थित शिविरों में अपनी-अपनी धर्म ध्वजा स्थापित कर दी।

वैष्णव परंपरा के अनुरूप ही तीनों वैष्णव अखाड़ों श्री पंच निर्मोही अनि अखाड़ा, श्री पंच निर्वाणी अनि और श्री पंच दिगंबर अनि अखाड़े की शनिवार को चरण पादुका पूजन और धर्म ध्वजा की स्थापना की गई।

श्री पंच निर्मोही अनि अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास के मुताबिक चरण पादुका और धर्म ध्वजा स्थापना के बाद अब अखाड़े में सभी तरह के कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाएगी। तीनों अखाड़े में ईष्ट देव भगवान हनुमान जी का प्रवेश हो गया है। तीनों अखाड़े के ईष्ट देव हनुमान जी महाराज हैं, जो कि धर्म ध्वजा के रूप में अखाड़े में विराजमान हैं।

उनके मुताबिक पूरे महाकुंभ तक हनुमान जी की यह ध्वजा इसी तरह शान से फहराती रहेगी।

इन तीनों अखाड़ों के शिविर में विधि-विधान से धर्म ध्वजा स्थापना का कार्यक्रम संपन्न हो गया। श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास जी का कहना है कि इस धर्म ध्वजा समारोह में शामिल होने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आना था। लेकिन, देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद राष्ट्रीय शोक घोषित हो गया और ऐसे में मुख्यमंत्री के आने का कार्यक्रम भी एक दिन पहले निरस्त हो गया। लेकिन, अब जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आएंगे।

धार्मिक परंपरा के अनुसार सबसे पहले इन तीनों वैष्णव अखाड़ों में पहले अस्तित्व में आए श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित हुई, इसके साथ अन्य दोनों अखाड़ों की धर्म ध्वजा स्थापित हो गई। इस ध्वज स्थापना समारोह में सभी 13 अखाड़ों के प्रमुख संत भी मौजूद रहे।

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