कराची, पाकिस्तान और चीन के केंद्रीय बैंकों ने सीमा पार लेनदेन के लिए चीनी मुद्रा के उपयोग को बढ़ाने को पाकिस्तान में युआन समाशोधन व्यवस्था स्थापित करने के लिए एक समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया।
द न्यूज ने बताया कि एमओयू पर स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के गवर्नर जमील अहमद और पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना यी गैंग में उनके समकक्ष ने हस्ताक्षर किए।
एसबीपी ने कहा, “पाकिस्तान में युआन समाशोधन व्यवस्था की स्थापना से चीनी और पाकिस्तानी उद्यमों और वित्तीय संस्थानों के बीच सीमा पार लेनदेन के लिए युआन के उपयोग को और बढ़ावा मिलेगा।”
केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को भी बढ़ावा देगा।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की दो दिवसीय बीजिंग यात्रा के दौरान इस आशय के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
विश्लेषकों के हवाले से द न्यूज ने कहा कि यह व्यवस्था द्विपक्षीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर पर पाकिस्तान की निर्भरता को कम करेगी।
टॉरस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख मुस्तफा मुस्तानसिर ने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है और व्यापार और निवेश के लिए फायदेमंद है। यह द्विपक्षीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को भी कम करेगा।”
इस्माइल इकबाल सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख फहद रऊफ ने समझौते को सकारात्मक विकास के रूप में देखते हुए कहा कि चीन पाकिस्तान का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है।
उन्होंने कहा कि इससे द्विपक्षीय संबंधों में और सुधार होगा।
द न्यूज ने रऊफ के हवाले से कहा, “एक बार यह व्यवस्था पूरी तरह लागू होने के बाद डॉलर पर निर्भरता कम होगी, जिससे हमारे बाहरी खाते पर बोझ कम होगा।”
उनका विचार है कि इससे पाकिस्तान के बाजारों में चीनी निवेश भी बढ़ेगा।
उन्होंने कहा, इससे पाकिस्तान चीनी बाजारों से कर्ज जुटाने में भी सक्षम होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि उनका देश पाकिस्तान में वित्तीय स्थिरता बहाल करने के लिए मदद जारी रखेगा।
गौरतलब है कि 65 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के हिस्से के रूप में बीजिंग पाकिस्तान में खनन और ढांचागत परियोजनाओं में शामिल रहा है।