पटना, 3 अगस्त । बिहार की राजधानी पटना में आयोजित दो दिवसीय मखाना महोत्सव का शनिवार को प्रदेश के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य लोगों में मखाने की खेती को लेकर दिलचस्पी पैदा करना है।
उन्होंने कहा कि आज विश्व भर में कहीं भी मखाने की बात होती है तो बिहार का नाम आता है। मखाना बिहार की पहचान बन गया है। कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि इस महोत्सव के आयोजन का मकसद है कि बिहार में होने वाली मखाने की प्रसिद्धि और बढ़े।
बिहार की सरकार किसानों के उत्पादन को बढ़ाने और उसे बाजार उपलब्ध कराने में मदद कर रही है। हमारे किसान समृद्ध हों, यही हमारा उद्देश्य है। उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया का 85 प्रतिशत मखाना बिहार में पैदा होता है।
फिलहाल, प्रदेश के करीब 35 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती हो रही है, जिसमे 25 हजार किसान लगे हुए हैं। बिहार सरकार इसे और बढ़ाना चाहती है।
इसके लिए हमें आधुनिक यंत्रों का प्रयोग करके मखाने के उत्पादन एवं प्रसंस्करण को बढ़ावा देना होगा। मखाना महोत्सव का आयोजन देश के अन्य राज्यों में भी किया जाएगा, ताकि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके।
इस मौके पर बिहार के विभिन्न जिलों के मखाना उत्पादक अपने-अपने मखाना प्रोडक्ट्स के साथ पहुंचे। लोगों को मखाने के बने गुलाब जामुन, पेड़ा, लड्डू, बिस्कुट काफी पसंद आ रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि मिथिला मखाने को जीआई टैग दिया गया है, वह मखाना उत्पादन के क्षेत्र में बिहार की विशिष्टता को दर्शाता है। साथ ही इस आयोजन के दौरान उत्पादन से संबंधित विकसित नई तकनीक का प्रदर्शन और मखाना क्षेत्र के विकास की दिशा में राज्य सरकार की ओर से उठाए गए प्रगतिशील कदम को भी साझा किया जा रहा है।
बता दें कि बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्णियां, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया और किशनगंज मखाना के प्रमुख उत्पादक जिले हैं।