अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ने कहा कि कश्मीर के अनंतनाग जिले के चित्तसिंहपुरा गांव में मारे गए 35 सिखों के परिवारों को 25 साल बीत जाने के बाद भी न्याय नहीं मिल पाया है। गरगज कल रात घाटी में धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद लौटे थे।
उन्होंने चित्तिसिंहपुरा गांव के दौरे के दौरान परिवारों के लिए न्याय की मांग की, जहां उन्होंने स्थानीय सिख समुदाय द्वारा आयोजित गुरमत समागम (धार्मिक सभा) में भाग लिया।
इस अवसर पर उन्होंने स्मारक का दौरा किया और 20 मार्च 2000 को क्रूरतापूर्वक मारे गए 35 निहत्थे सिखों की स्मृति में स्थापित तस्वीरों को देखा। उन्होंने वह दीवार भी देखी जिस पर आज भी उस नरसंहार के गोलियों के निशान मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि इस दुखद घटना ने न केवल कश्मीर के सिखों को, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार आज भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, क्योंकि इस नरसंहार के पीछे का सच आज तक सामने नहीं आया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि तथ्यों को उजागर करना सरकार की ज़िम्मेदारी है।
कश्मीरी सिखों के साहस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारी अत्याचार सहने के बावजूद, उन्होंने अपनी मातृभूमि नहीं छोड़ी। उन्होंने एक के बाद एक आई सरकारों पर सिख समुदाय के अधिकारों का दमन करने का आरोप लगाया।
जत्थेदार गर्गज ने इस बात पर जोर दिया कि चित्तिसिंहपुरा हत्याकांड ने सिख समुदाय को यह सिखाया कि यदि वह एकजुट हो जाए तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं है।
उन्होंने नरसंहार में मारे गए सिखों की स्मृति को संरक्षित करने में योगदान देने के लिए गांव निवासी और सरकारी शिक्षक ज्ञानी राजिंदर सिंह तथा स्थानीय नौजवान सभा के प्रयासों की भी सराहना की।