December 10, 2024
National

बसपा की विरासत बचाने में आकाश आनंद फेल, ‘रावण’ उठा रहे इसका फायदा!

नई दिल्ली, 30 नवंबर । उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक राजनीतिक क्यारी से दलित वोट बैंक की फसल काटकर अपनी सियासी जमीन को उपजाऊ बना रहीं मायावती के लिए अब राह आसान नजर नहीं आ रही है। बसपा की विरासत को बचाने का जिम्मा बड़े दिल से मायावती ने आकाश आनंद के हाथों में सौंपा था। लोकसभा चुनाव 2024 में आकाश आनंद इसके बाद चुनाव प्रचार की शुरुआत में काफी लय में भी नजर आ रहे थे। लेकिन, उनके बयानों ने ऐसा हंगामा मचाया कि मायावती को आकाश आनंद की भाषा शैली पर लगाम लगाना पड़ा।

अब ऐसे में साफ नजर आने लगा है कि मायावती ने कांशीराम से जो राजनीतिक विरासत पाई थी और जिसे बड़े सलीके से उन्होंने संभाला था, उसको संभालने में आकाश आनंद फेल हो गए हैं। क्योंकि जिस तरह से दलित वोट बैंक की राजनीति को लेकर यूपी में चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने अपने पैर जमाने शुरू किए हैं उससे तो अब यही स्पष्ट होने लगा है।

मायावती को भी आकाश आनंद की इस फेल्योरिटी का अंदाजा हो गया है। तभी तो मायावती ने यूपी की 9 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव के समय आकाश आनंद की ड्यूटी महाराष्ट्र और झारखंड में लगा दी। जबकि बसपा के लिए यूपी का विधानसभा उपचुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं था।

मायावती भी जानती हैं कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में आकाश के नेतृत्व में ही बीएसपी ने चुनाव लड़ा था और तीनों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की करारी हार हुई थी। वहीं हरियाणा के विधानसभा चुनाव में आकाश आनंद ने ताबड़तोड़ 10 से ज्यादा रैलियां की थी लेकिन, पार्टी गठबंधन के बावजूद भी यहां एक सीट जीतने में भी कामयाब नहीं रही। इसके बाद बसपा महाराष्ट्र और झारखंड की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने उतरी। यहां भी पार्टी की तरफ से आकाश आनंद के नेतृत्व को ही आगे बढ़ाया गया और पार्टी को इन दोनों राज्यों में एक भी सीट नहीं मिली।

महाराष्ट्र और झारखंड में दलित वोट बैंक बहुत बड़ा है और महाराष्ट्र में दलितों की आबादी करीब 12 प्रतिशत है। मायावती को उम्मीद थी कि आकाश इस वोट को बढ़ाने में सफल होंगे। लेकिन, दोनों ही राज्यों में ऐसा करने में पूरी तरह आकाश आनंद विफल रहे।

लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने एक बार फिर से आकाश की संगठन में वापसी करा दी। मायावती ने आकाश को फिर से अपना उत्तराधिकारी और बसपा का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाकर ज्यादा ताकतवर बना दिया। लेकिन, उसका नतीजा वैसा ही निकला जैसे लोकसभा चुनाव के दौरान रहा था। यानी आकाश आनंद एक बार फिर से फेल हो गए थे।

हाल ही में यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जहां बहुजन समाज पार्टी अपना कुनबा बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ रही थी। वहीं आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के मुखिया चंद्रशेखर इसकी कमजोरी का फायदा उठाने की फिराक में जुटे थे। नगीना सीट से मिली जीत के बाद चंद्रशेखर उत्साहित नजर आ रहे थे। वह दलितों के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए वह हरसंभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं।

वैसे यूपी के साथ देश के कई हिंदी भाषी राज्यों में एक समय पर बसपा की साख रही और बीते कई दशकों से मायावती दलित राजनीति का बड़ा चेहरा भी बनकर रहीं। लेकिन, चुनाव दर चुनाव हार ने बसपा को काफी कमजोर कर दिया। अब उनकी खाली जगह भरने के लिए चंद्रशेखर आगे बढ़ते आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मायावती बसपा की नैया को बीच मझधार से बाहर निकालने के लिए इसकी पतवार को आकाश आनंद के हाथों में सौंप तो चुकी हैं लेकिन, अभी भी उनका भरोसा पूरी तरह से उनके ऊपर नहीं हो पाया है। क्योंकि आकाश आनंद इस विरासत को संभालने में लगातार फेल हो रहे हैं।

एक तरफ जहां चंद्रशेखर ‘रावण’ मजबूती से अपनी आवाज दलितों के हक में उठाते नजर आ रहे हैं। वहीं आकाश आनंद मानो इस फ्रेम से पूरी तरह गायब हैं।

कांशीराम की विरासत और मायावती की बनाई जमीन को ध्यान से देखें तो 2014 के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता नहीं खुल सका है। पार्टी का जनाधार भी 10 प्रतिशत से ज्यादा खिसक गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा का वोट शेयर जहां लगभग 19.43 प्रतिशत था, वह 2024 के लोकसभा चुनाव में खिसककर सिर्फ 9.35 प्रतिशत पर आ गया। फिर हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी बसपा का यही हाल दिखा। जो पार्टी हरियाणा में 2000 से 2014 तक हर विधानसभा चुनाव में एक सीट जीतकर आई। 2019 में उसे कोई सीट नहीं मिली और इस बार के विधानसभा चुनाव में भी उसके हिस्से कोई सीट नहीं आई और पार्टी को इस विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1.82 फीसदी वोट मिले।

लोकसभा चुनाव में नगीना सीट से चुनाव जीतने के बाद चंद्रशेखर की पार्टी को लेकर दलितों में एक नई चेतना का उभार देखने को मिल रहा है। चंद्रशेखर बस यहीं सफल होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और बसपा की कमजोरी का फायदा उठाने में जुट गए हैं। इस सबमें जो ‘रावण’ के लिए सबसे ज्यादा फायदा दिखता नजर आ रहा है वह उनकी सक्रियता है क्योंकि उनके मुकाबले मायावती की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने का जिम्मा उठा रहे आकाश आनंद कम सक्रिय नजर आ रहे हैं। मायावती आकाश आनंद के सहारे दलितों के बीच जाने की कोशिश में है, वह जमीन पर कम ही उतर रही हैं और इस सब का फायदा दलितों के बीच जाकर उनके मुद्दे उठाकर चंद्रशेखर ले रहे हैं। यही कारण है कि दलित नौजवानों के बीच चंद्रशेखर की पैठ बढ़ रही है। उनकी लोकप्रियता में इजाफा हो रहा है।

मायावती की तरफ से बसपा का उत्तराधिकार आकाश आनंद को सौंपने और लगातार चुनाव में मिल रही पार्टी को हार से भी दलितों का उनके दल से कुछ मोह भंग हो रहा है। दूसरी तरफ अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ाकर चंद्रशेखर बहुजन समाज का प्रमुख चेहरा बनने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

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