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शिमला में भय का माहौल निवासियों ने आवारा कुत्तों और बंदरों से निपटने के लिए ठोस नीति की मांग की

An atmosphere of fear prevails in Shimla as residents demand a concrete policy to deal with stray dogs and monkeys.

शिमला नागरिक सभा ने सोमवार को उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना दिया और शहर में आवारा कुत्तों और बंदरों के बढ़ते आतंक के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों से इस समस्या के समाधान के लिए एक ठोस नीति बनाने का आग्रह किया, क्योंकि उनके अनुसार इस समस्या ने निवासियों में भय का माहौल पैदा कर दिया है।

सभा ने माँग की कि आक्रामक आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय स्थलों में रखा जाए, और बंदरों की आबादी को वैज्ञानिक तरीके से धीरे-धीरे नियंत्रित किया जाए। उन्होंने पशु प्रेमियों द्वारा आवारा कुत्तों को गोद लेने को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया और सार्वजनिक स्थानों पर अंधाधुंध तरीके से जानवरों को खाना खिलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की।

शिमला नागरिक सभा के अध्यक्ष जगमोहन ठाकुर ने कहा कि कुत्तों और बंदरों के काटने की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं, जिससे जन सुरक्षा को गंभीर खतरा है। उन्होंने नगर निगम पर “निष्क्रियता” का आरोप लगाते हुए कहा कि उपाय केवल कागजी कार्रवाई तक ही सीमित हैं और ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस प्रयास नहीं दिख रहे हैं।

प्रदर्शन के बाद सभा के एक प्रतिनिधिमंडल ने महापौर सुरिंदर चौहान, उप महापौर उमा कौशल और नगर निगम आयुक्त भूपिंदर कुमार अत्री से मुलाकात की और उनसे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया।

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