भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अनिल के एंटनी ने विपक्षी दलों को अवसरवादी करार दिया। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कांग्रेस और सीपीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सभी दल राष्ट्रीय चुनावों में एक गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही इनके बीच दूरियां साफ दिखाई देने लगती हैं। उन्होंने कहा कि टीएमसी अब फिर से वही पुरानी रणनीति अपना रही है।
एंटनी ने सवाल उठाया कि आखिर यह कौन सा गठबंधन है जो केंद्र में भाजपा के खिलाफ लड़ने का दावा करता है, लेकिन खुद में कोई एकता नहीं रखता। उन्होंने कहा कि इस तथाकथित गठबंधन में कोई मजबूत नेता नहीं है, न कोई स्पष्ट विजन और न ही कोई ठोस दिशा। विपक्षी दलों का एकमात्र एजेंडा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करना है, लेकिन देश की जनता उनकी सच्चाई को समझ चुकी है। उन्होंने कहा कि हाल के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जनता ने यह दिखा दिया है कि वह इन दलों को गंभीरता से नहीं लेती।
भाजपा महासचिव ने कहा कि विपक्षी गठबंधन में एक दल से नेता दूसरे दल में जा रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि केरल में तृणमूल कांग्रेस कोई बड़ी ताकत नहीं है, जबकि कांग्रेस और सीपीएम को भी राज्य की जनता धीरे-धीरे नकार रही है।
अनिल के एंटनी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह पहले ऐसे कांग्रेस नेता नहीं हैं जो पार्टी नेतृत्व के खिलाफ असंतोष प्रकट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के भीतर इस तरह की नाराजगी कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस पार्टी पहले भी ऐसे कई आंतरिक विरोध देख चुकी है, और यह भविष्य में भी जारी रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर बात करते हुए एंटनी ने अमेरिका के नए प्रशासन और उसके राजनयिक दृष्टिकोण का भी जिक्र किया। हालांकि, उन्होंने इस संदर्भ में ज्यादा विस्तार से कुछ नहीं कहा। उनका यह बयान विपक्षी गठबंधन की रणनीति और भारतीय राजनीति में उसकी भूमिका को लेकर नई बहस को जन्म दे सकता है।
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