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सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

Appointment of Information Commissioners: Supreme Court seeks status report from all states

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और राज्य सूचना आयोगों में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 17 नवंबर तक टल गई है। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से सूचना आयुक्तों के चयन की स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

यह मामला सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के प्रभावी कार्यान्वयन से जुड़ा है, जिसमें देरी से आयोग में लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग के लिए सर्च कमेटी ने अपनी प्रक्रिया पूरी कर ली है। चयन समिति, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल हैं, तीन सप्ताह में नामों पर विचार करेगी। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराजन ने बताया कि सर्च कमेटी ने सिफारिशें चयन समिति को भेज दी हैं, जो दो-तीन हफ्तों में फैसला लेगी।

याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने सरकार पर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जनवरी 2025 में एक केंद्रीय सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्त थे, लेकिन अब केवल केंद्रीय सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त बचे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने में नियुक्तियां करने का आदेश दिया था, लेकिन 10 महीने बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।

भूषण ने कहा कि 11 सूचना आयुक्तों की जगह केवल दो काम कर रहे हैं, जिससे आरटीआई कानून की धज्जियां उड़ रही हैं और लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है। भूषण ने मांग की कि आवेदकों के नाम सार्वजनिक किए जाएं ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो। हालांकि, जस्टिस सूर्यकांत ने चिंता जताई कि इससे गुमनाम शिकायतें आ सकती हैं, जो प्रक्रिया को बाधित करेंगी।

भूषण ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार कुछ समर्थित लोगों को बिना आवेदन के नियुक्त कर रही है, जैसे एक पत्रकार की नियुक्ति, जिनका इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि उन्हें ऐसी नियुक्तियों की जानकारी नहीं है। भूषण ने कोर्ट के पुराने निर्देश का हवाला दिया, जिसमें गैर-आवेदकों के नाम पर विचार न करने का हलफनामा मांगा गया था।

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