October 22, 2025
National

जो क्षेत्र नक्सलियों के आतंक से कांपते थे आज वहां सड़कें, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज हैंः राजनाथ सिंह

Areas that used to tremble under the terror of Naxalites now have roads, hospitals, schools and colleges: Rajnath Singh

राजनाथ सिंह ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर विभिन्न पुलिस बलों के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा कि देश के जो क्षेत्र पहले नक्सलियों के आतंक से कांपते थे, आज वहां सड़कें, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज पहुंच चुके हैं। जो क्षेत्र कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करते थे, आज वो एजुकेशनल हब बन रहे है। आज वहां बच्चे मोबाइल चला रहे हैं, कंप्यूटर चला रहे हैं, बड़े सपने देख रहे हैं। भारत के जो क्षेत्र रेड कॉरिडोर के नाम से कुख्यात थे, वह अब ग्रोथ कॉरिडोर में बदल चुके हैं। सरकार जो इतने परिवर्तन कर पाई है, इसमें बहुत बड़ा योगदान हमारे पुलिस बलों का और सुरक्षाबलों का है। यह जानकारी मंगलवार को

रक्षामंत्री ने कहा कि यह, देश की सुरक्षा में अपने आप को समर्पित कर देने वाले हमारे पुलिस और सभी अर्धसैनिक बलों के जवानों के त्याग को याद करने का दिन है। उन्होंने कहा कि एक लंबे समय तक, नक्सलवाद हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए समस्या रहा। एक समय था जब छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र इन सभी राज्यों के कई जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे। गावों में स्कूल बंद थे, सड़कें नहीं थीं, और लोग भय में जीते थे। लेकिन हमने ठान लिया कि इस समस्या को आगे नहीं बढ़ने देंगे। हमारी पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर जिस तरह संगठित तरीके से काम किया वह काबिल-ए-तारीफ है।

रक्षामंत्री ने कहा कि पिछले कई वर्षों के हमारे सम्मिलित प्रयास, फलीभूत हो रहे हैं। पूरे देश को अब यह भरोसा हो गया है, कि अगले वर्ष तक इस समस्या का नामोनिशान नहीं रहेगा। इस वर्ष भी कई शीर्ष नक्सलियों का खात्मा किया जा चुका है। नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या भी अब बहुत कम बची रह गई है, और वह भी अगले वर्ष मार्च तक खत्म हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि अगर लोग रात को चैन से सो पाते हैं, तो इसलिए कि उन्हें विश्वास होता है कि सीमा पर सेना है, और गली-मोहल्ले में पुलिस मुस्तैद है। यह विश्वास ही सुरक्षा की सबसे बड़ी परिभाषा है। यह विश्वास ही देश की स्थिरता की पहली शर्त है। आज देश के नागरिकों को भरोसा है, कि अगर मेरे साथ कुछ गलत हुआ, तो पुलिस खड़ी होगी।

उन्होंने कहा कि सेना हो या पुलिस, ये दोनों ही देश की सुरक्षा के अलग-अलग स्तंभ हैं। इसलिए मेरा ऐसा मानना है, कि दुश्मन कोई भी हो, चाहे सीमा पार से आए, या हमारे बीच छिपा हो, जो भी व्यक्ति भारत की सुरक्षा के लिए खड़ा है, वह एक ही आत्मा का प्रतिनिधि है। सेना और पुलिस में बस मंच अलग है, लेकिन इनका मिशन एक ही है, राष्ट्र की रक्षा।

रक्षा मंत्री का कहना है कि समाज और पुलिस, ये दोनों एक-दूसरे पर समान रूप से निर्भर हैं। कोई भी समाज तभी शांति और प्रगति की ओर बढ़ सकता है, जब उसके भीतर सुरक्षा, न्याय और विश्वास की भावना सुदृढ़ हो। उन्होंने कहा कि एक सरकार के रूप में, हमने सिर्फ देश की सुरक्षा पर ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा में लगे हुए अपने पुलिस बलों पर भी ध्यान दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पुलिस के हमारे साथियों की स्मृति को जीवंत रखने के लिए, उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए, 2018 में नेशनल पुलिस मेमोरियल की भी स्थापना की। इसके अलावा हमने, पुलिस को अत्याधुनिक हथियारों के साथ-साथ बेहतर सुविधाएं भी दी हैं। पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए, राज्यों को भी पर्याप्त संसाधन दिए जा रहे हैं। आज हमारे पुलिस बलों के पास सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन, फॉरेंसिक लेबोरेटरी और डिजिटल पुलिसिंग जैसे आधुनिक साधन हैं।

रक्षामंत्री ने कहा कि पुलिस को मिल रही इन तमाम सुविधाओं के बीच में यह भी कहना चाहूंगा, कि एक राष्ट्र के रूप में हमारे पास चुनौतियां बहुत ज्यादा है, लेकिन उन चुनौतियों से निपटने के लिए, हमारे पास संसाधन सीमित मात्रा में हैं। इसलिए हमें उन संसाधनों का अधिकतम सदुपयोग करने पर भी ध्यान देना होगा। और यह काम तब हो सकता है, जब हम सुरक्षा एजेंसियों के साथ, तालमेल के साथ काम करें। रक्षा मंत्री ने कहा कि सशक्त पुलिस ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकती है, और यही हमारा ध्येय होना चाहिए।

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