नई दिल्ली, 29 नवंबर । दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को फिनटेक कंपनी के खिलाफ कथित अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में भारतपे के पूर्व एमडी अशनीर ग्रोवर पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने ग्रोवर द्वारा पहले के आदेशों और आश्वासनों के लगातार और स्पष्ट उल्लंघन पर निराशा जताई।
इस व्यवहार से स्तब्ध न्यायाधीश ने ग्रोवर को अपने वचनपत्र से बाध्य करते हुए मामले को बंद करने का फैसला किया, लेकिन 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने उच्च न्यायालय के क्लर्क एसोसिएशन को भुगतान का निर्देश दिया।
अदालत ने ग्रोवर की माफ़ी और वचन को रिकॉर्ड में ले लिया, लेकिन यह कहते हुए जुर्माना लगाने की कार्रवाई आगे बढ़ा दी कि इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
वादी – भारतपे, रेजिलिएंट इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के मालिक के लिए वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने ग्रोवर द्वारा अदालत के आदेशों के लगातार उल्लंघन की ओर इशारा किया और अदालत से उन्हें अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी करने का आग्रह किया।
जवाब में, ग्रोवर के वकील ने अपने मुवक्किल की माफी और भविष्य में आपत्तिजनक पोस्ट से परहेज करने के वचन का उल्लेख करते हुए मामले को निपटाने का सुझाव दिया।
वकील ने विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता का भी प्रस्ताव रखा।
इससे पहले, अदालत ने अश्नीर ग्रोवर और फिनटेक कंपनी के अधिकारियों को एक-दूसरे के खिलाफ “असंसदीय” या “अपमानजनक” तरीके से नहीं बोलने का निर्देश दिया था।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद भारतपे ने एक आवेदन दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ग्रोवर तब से अपमानजनक बयान ट्वीट कर रहे हैं।
भारतपे ने ग्रोवर के पहले के ट्वीट्स से संबंधित अपने पहले से लंबित मानहानि मुकदमे में आवेदन दायर किया।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने कहा था, “यह शहर के कोने में कुछ प्रतिद्वंद्वी गिरोहों के बीच सड़क पर होने वाली लड़ाई नहीं है। ये कॉर्पोरेट लोग हैं, शिक्षित लोग हैं, स्पष्टवादी लोग हैं जो निश्चित रूप से एक-दूसरे के खिलाफ अपनी शिकायतों का निपटारा अधिक परिष्कृत तरीके से कर सकते हैं।”
“अगर तुम दोनों ने गटर में घुसने का फैसला कर लिया है तो प्लीज वहीं रहो।”
फिनटेक कंपनी की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील राजीव नायर और दयान कृष्णन ने ग्रोवर के कुछ ट्वीट्स का हवाला दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी ने “वकीलों और फिक्सरों” पर कई करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
वकील ने तर्क दिया कि अगर ग्रोवर को कंपनी की शिकायत से कोई दिक्कत है तो वह अपने खिलाफ भारतपे की शिकायत और दिल्ली पुलिस की एफआईआर पर अदालत में विवाद कर सकते हैं।
भारतपे के अधिकारियों के कुछ ट्वीटों पर प्रकाश डालते हुए ग्रोवर की ओर से पेश वकील गिरिराज सुब्रमण्यम ने कहा था कि भारतपे के अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर उनके मुवक्किल के खिलाफ इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है और प्रेस में ग्रोवर के खिलाफ आरोप लगाए हैं।
इसके बाद पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।
अदालत ने आदेश दिया, “नोटिस जारी करें, सभी प्रतिवादियों के विद्वान वकील श्री सुब्रमण्यम नोटिस स्वीकार करें। 20 मई तक जवाब दाखिल करें, 22 मई तक प्रत्युत्तर दाखिल किए जाएं। 24 मई को रोस्टर बेंच के समक्ष सूची पेश की जाए।”
अदालत ने वकील ने अनुरोध किया कि वे अपने मुवक्किलों को एक-दूसरे के खिलाफ असंसदीय और अपमानजनक प्रकाशन का सहारा लेने से बचने की सलाह दें। सुब्रमण्यम ने कहा कि वह ग्रोवर को अधिक शालीन भाषा का उपयोग करने की सलाह देंगे।
फंड के दुरुपयोग के आरोप में ग्रोवर और उनकी पत्नी को कंपनी से बर्खास्त किए जाने के महीनों बाद भारतपे ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
2,800 पन्नों के अपने मुकदमे में भारतपे ने कथित धोखाधड़ी और धन के दुरुपयोग के लिए ग्रोवर, उनकी पत्नी और उनके भाई से 88.67 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया है।
फिनटेक कंपनी ने दावा किया कि राजस्थान स्थित एक ट्रैवल कंपनी ने दो बार विदेशी दौरों के लिए चालान काटा था, एक बार ग्रोवर और उनकी पत्नी के लिए और दूसरी बार उनके बच्चों के लिए। परिवार ने विदेश यात्रा के लिए भी कंपनी के फंड का इस्तेमाल किया।
मुकदमे में आगे दावा किया गया कि ग्रोवर्स ने कंपनी के फंड का इस्तेमाल अपने पॉश डुप्लेक्स का किराया और सुरक्षा जमा और घरेलू उपकरणों के भुगतान के लिए भी किया। मुकदमे में दावा किया गया कि डुप्लेक्स को पहले ग्रोवर्स ने कंपनी के गेस्ट हाउस के रूप में अपने कब्जे में ले लिया था, लेकिन अंततः उन्होंने वहां रहना शुरू कर दिया।