यद्यपि केंद्र सरकार ने राज्य में एनपीएस विरोधी अभियान का मुकाबला करने के लिए नई पेंशन योजना (एनपीएस) के स्थान पर सरकारी कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) शुरू की है, लेकिन अधिकांश कर्मचारी वर्तमान स्वरूप में यूपीएस से असंतुष्ट और नाखुश हैं, जिससे राज्य में विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को परेशानी हो रही है।
वे अभी भी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने के पक्ष में हैं और चुनाव मैदान में उतरे सभी उम्मीदवारों के सामने इस मांग को उठा रहे हैं और विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को अहम बना रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के अलावा अन्य उम्मीदवार कर्मचारियों को लुभाने के लिए अपनी चुनावी सभाओं में ओपीएस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहे हैं।
महेंद्रगढ़ में शिक्षिका कमलेश ने कहा, “यूपीएस में कई प्रतिकूल प्रावधान शामिल किए जाने के कारण कर्मचारियों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। इस योजना के तहत कर्मचारियों की सेवा अवधि 25 वर्ष से कम होने पर मात्र 10,000 रुपये मासिक पेंशन मिलती है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह मामूली रकम है। ऐसा लगता है कि पेंशन के मुद्दे पर भाजपा सरकार की नीयत ठीक नहीं है, अन्यथा वह ओपीएस को बहाल कर सकती थी या कांग्रेस पार्टी की तरह ऐसा करने का वादा कर कर्मचारियों का दिल जीत सकती थी।”
झज्जर के एक अन्य कर्मचारी महेश ने कहा कि यूपीएस को ओपीएस से कहीं बेहतर योजना बताकर महिमामंडित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “अगर यह हकीकत है तो ओपीएस को बहाल क्यों नहीं किया जा रहा है, जिसके लिए राज्य में सरकारी कर्मचारी पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं। चूंकि भाजपा को यह एहसास हो गया है कि यूपीएस कर्मचारियों को संतुष्ट करने में विफल रही है, इसलिए उसके उम्मीदवार यूपीएस के नाम पर सरकारी कर्मचारियों से वोट नहीं मांग रहे हैं।”
ओपीएस बहाली संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने कहा कि यूपीएस के तहत कर्मचारियों को न तो चिकित्सा सुविधा दी जाएगी और न ही नए वेतन आयोग का लाभ दिया जाएगा, जबकि चिकित्सा सुविधा की सबसे ज्यादा जरूरत बुढ़ापे में पड़ती है।
पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन। फाइल फोटो उन्होंने कहा, “यूपीएस 25 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी के लिए सेवानिवृत्ति की तारीख से पहले पिछले 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत गारंटीकृत पेंशन के रूप में देता है। चूंकि सरकारी नौकरियों के लिए अधिकतम आयु सामान्य के लिए 42 वर्ष, पिछड़ी जातियों के लिए 45 वर्ष और अनुसूचित जातियों के लिए 47 वर्ष है, तो अधिकतम आयु सीमा के करीब नौकरी पाने वाला उम्मीदवार 58 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने पर अपने मूल वेतन का आधा पेंशन कैसे प्राप्त कर पाएगा।”
प्रदेश भाजपा मीडिया सह प्रभारी शमशेर खड़क ने दलीलों का खंडन करते हुए कहा कि यूपीएस सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रस्तुत सुझावों पर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा, “इसमें कर्मचारियों के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित किया गया है। कर्मचारियों का एक वर्ग केवल इसकी निंदा कर रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि यूपीएस कर्मचारियों को खुश करने में सफल रहा है।”
कोसली (रेवाड़ी) की सुषमा ने कहा कि कर्मचारियों के बुढ़ापे में भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए पेंशन शुरू की गई थी, लेकिन ओपीएस वापस लेने के बाद कर्मचारियों का भविष्य भगवान भरोसे है। उन्होंने दावा किया, “कर्मचारी ओपीएस को बहाल करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। कर्मचारी विधानसभा चुनाव में सरकार के खिलाफ मतदान करके अपना आक्रोश दिखाएंगे।”
यूपीएस के तहत कोई चिकित्सा सुविधा नहीं यूपीएस के तहत कर्मचारियों को न तो मेडिकल सुविधा दी जाएगी और न ही नए वेतन आयोग का लाभ दिया जाएगा, जबकि मेडिकल सुविधा की सबसे ज्यादा जरूरत बुढ़ापे में पड़ती है। -विजेंद्र धारीवाल, अध्यक्ष, ओपीएस बहाली संघर्ष समिति
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