भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की तकनीकी समिति ने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को उनकी मांग के अनुसार नंगल बांध से पानी आवंटित किया है। 15 मई को हुई बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार पंजाब को 17,000 क्यूसेक, राजस्थान को 12,400 क्यूसेक और हरियाणा को 10,300 क्यूसेक पानी मिलेगा।
हालांकि, हरियाणा के मामले में एक पेच है। द ट्रिब्यून द्वारा प्राप्त बैठक के विवरण के अनुसार, हरियाणा को भाखड़ा मेन लाइन (बीएमएल) नहर की “सुरक्षित वहन क्षमता” के आधार पर 21 मई से 10 दिनों के लिए 10,300 क्यूसेक पानी आवंटित किया गया है। यह नहर पंजाब और हरियाणा दोनों के कुछ हिस्सों में पानी ले जाती है।
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पंजाब हमेशा से यह दावा करता रहा है कि नहर को रखरखाव कार्य की आवश्यकता है, जिसके कारण यह “अपनी इष्टतम क्षमता तक” पानी नहीं ले जा सकती।
नहर की क्षमता 11,200 क्यूसेक है, जबकि इसकी डिजाइन क्षमता 12,500 क्यूसेक है। पंजाब भी इससे 3,000 क्यूसेक पानी का उपयोग करेगा, जिससे हरियाणा में केवल 8,200 क्यूसेक पानी ही बहेगा।
इससे हरियाणा को उसकी मांग से 2,100 क्यूसेक कम पानी मिलेगा। बैठक में पंजाब ने हरियाणा को जल आवंटन में वृद्धि पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि नहर से बहने वाले पानी में पड़ोसी राज्य का 70 प्रतिशत हिस्सा है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि भागीदार राज्यों, केन्द्रीय जल आयोग और बीबीएमबी के सदस्यों वाली एक समिति गठित की जाएगी, जो बांधों के भरने और खाली होने की अवधि का लेखा-जोखा रखने तथा पारंपरिक मूल्यों के बजाय वास्तविक आधार पर हानि और लाभ जैसे मुद्दों का समाधान करेगी।
पंजाब ने यह भी आग्रह किया था कि पौंग बांध की तीसरी सुरंग पर मरम्मत कार्य न किया जाए, क्योंकि जून से धान की सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ जाएगी।
राजस्थान सरकार के अधिकारियों ने भी इस संबंध में अपनी सहमति दे दी है।
बोर्ड ने अब रखरखाव कार्य को आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। नतीजतन, 21 मई से पोंग बांध से 4,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा।