कोलकाता, 13 मार्च पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सलाह दी कि वह इस पर कोई भी टिप्पणी करने से पहले नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के ब्योरे का अध्ययन कर लें और समझ भी लें।
राज्यपाल की यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीएए लागू करने के फैसले के एक दिन बाद आई है, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त होगा। मंत्रालय की घोषणा के तुरंत बाद सीएम बनर्जी ने केंद्र के कदम को लोकसभा चुनाव से पहले एक ‘राजनीतिक नौटंकी’ करार दिया था।
मुख्यमंत्री द्वारा सीएए की कानूनी पवित्रता पर सवाल उठाने पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस अधिनियम में एक महत्वपूर्ण कानूनी पहलू है, जिसका उद्देश्य “देश को विभाजित करना” नहीं, बल्कि “भारत को एकजुट करना” है।
राज्यपाल ने कहा, “मैं अपनी संवैधानिक सहयोगी, मुख्यमंत्री से अनुरोध करूंगा कि वे पहले अधिनियम के विवरण का अध्ययन करें और समझें, उसके बाद ही इस पर टिप्पणी करें।”
उन्होंने कहा कि सीएए दिसंबर 2019 में संसद के पटल पर पारित किया गया था और सोमवार को इसे कानूनी प्रावधानों के अनुसार लागू करने के लिए एक अधिसूचना जारी की गई थी।
राज्यपाल ने कहा, “यह कानूनी वास्तविकताओं के साथ-साथ सुशासन को भी दर्शाता है।”
मंगलवार को उत्तर 24 परगना जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम ममता ने सीएए पोर्टल पर नामांकन के खिलाफ चेतावनी जारी करते हुए कहा कि आवेदक अंततः अपना सब कुछ खो सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी, “जब पोर्टल पर आवेदन करेंगे, तो आप वास्तविक नागरिक से अवैध प्रवासी बन जाएंगे और एक बार जब आप अवैध प्रवासी बन गए, तो आपकी संपत्ति और पेशे का क्या होगा? आपको डिटेंशन कैंप में भेज दिया जाएगा, इसलिए आवेदन करने से पहले दो बार सोचें।”
हालांकि, पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को गुमराह करने के लिए अनावश्यक रूप से इसे एक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं।
अधिकारी ने कहा, “लेकिन वह सफल नहीं होंगी, क्योंकि मुस्लिम भाइयों को एहसास हो गया है कि सीएए नागरिकता देने के लिए है, न कि छीनने के लिए।