कोलकाता, 20 जनवरी । पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के राशन वितरण मामले में किए गए विदेशी मुद्रा विनिमय लेनदेन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मदद मांगी है।
ईडी ने पहले ही कोलकाता में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत में विस्तार से बताया है कि कैसे मामले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस नेता शंकर आध्या ने कथित घोटाले की कई करोड़ रुपये की रकम को पहले विदेशी मुद्रा में और बाद में हवाला मार्ग से विदेश मुख्य रूप से दुबई और बांग्लादेश में भेजा।
सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी अब इस मामले में देश के शीर्ष बैंक के साथ अपने पहले से ही सुरक्षित निष्कर्षों की पुष्टि करना चाहते हैं, यह देखते हुए कि विदेशी मुद्रा लेनदेन बाद के नियमों के तहत नियंत्रित होते हैं।
सूत्रों ने कहा कि ईडी के अधिकारियों ने पहले ही राशन वितरण मामले की जांच के दौरान सामने आए करोड़ों विदेशी मुद्रा लेनदेन में मानदंडों के उल्लंघन की पहचान कर ली है।
मानदंडों के अनुसार जो व्यक्ति इस विदेशी मुद्रा विनिमय के लिए जा रहे हैं, उन्हें विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत भारतीय रुपये को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित करते समय यात्रा विवरण प्रस्तुत करना होगा।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि ईडी के अधिकारियों को इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि आध्या से जुड़ी विदेशी मुद्रा लेनदेन करने वाली संस्थाओं द्वारा ऐसे बुनियादी मानदंडों का पालन नहीं किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना ऐसे रूपांतरण तब होते हैं जब परिवर्तित धन गलत तरीके से कमाया गया और बेहिसाब होता है, और इस मामले में परिवर्तित धन मुख्य रूप से राशन वितरण मामले की आय थी।
शनिवार को विशेष अदालत के आदेश के अनुसार, आद्या फिलहाल ईडी की हिरासत में है। उन्हें पश्चिम बंगाल के वन मंत्री और राज्य के पूर्व माल एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का बेहद करीबी विश्वासपात्र माना जाता है, जिन्हें पिछले साल अक्टूबर में ईडी के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।
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