N1Live Entertainment चर्चा में है भोजपुरी फिल्म ‘जया’, पटना में हुआ ग्रैंड प्रीमियर, एक्टर माही बोलीं- कहानी बेहद खास
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चर्चा में है भोजपुरी फिल्म ‘जया’, पटना में हुआ ग्रैंड प्रीमियर, एक्टर माही बोलीं- कहानी बेहद खास

Bhojpuri film 'Jaya' is in discussion, grand premiere took place in Patna, actor Mahi said - the story is very special

पटना, 2 जुलाई । मनोरंजन के क्षेत्र का भोजपुरी सिनेमा अहम हिस्सा है। कड़ी मेहनत और अनोखेपन के चलते भोजपुरी सिनेमा ने अपनी अलग पहचान बनाई है, साथ ही भारतीय संस्कृति और सामाजिक संदेश को भी बढ़ावा दिया है। इन फिल्मों पर अश्लीलता को बढ़ावा देने का भी आरोप लगता रहा है और इसी टैग को हटाने की कोशिश है जया। एक फिल्म जो सामाजिक सरोकार की बात करती है।

जया में भोजपुरी इंडस्ट्री की ब्यूटी क्वीन माही श्रीवास्तव लीड रोल में है। कई मुद्दे उठाती है। लिंगभेद, जातिवाद और सामाजिक भेदभाव से लड़ती एक लड़की की कहानी है जया।

राजधानी पटना में फिल्म का ग्रैंड प्रीमियर हुआ। कहानी गंगा घाट के किनारे बसे एक कस्बे की है। जहां एक दलित पिता अपनी बेटी जया को बेहतरीन जिंदगी देने की कोशिश में लगा हुआ है। बेटी का दाखिला बड़े स्कूल में कराता है। जया पढ़ने में काफी होशियार है। स्कूल में उसे इनाम दिया जाता है। जहां से आई है उस जमीन को नहीं भूलती बल्कि पिता को स्टेज पर बुलाकर उनका गौरव बढ़ाती है।

इस बीच जिंदगी में एक ट्विस्ट आता है। जया को प्यार हो जाता है। जिंदगी में दाखिल होता है एक लड़का जो ब्राह्मण का बेटा है। प्यार परवान चढ़ता है लेकिन जब दुनिया वालों के सामने प्यार स्वीकारने का समय आता है, तो प्रेमी छोड़कर विदेश भाग जाता है। इसके बाद ही जया की जिंदगी में तूफान आता है। पिता उसे घर से निकाल देते हैं। क्या जया अपने प्यार को पाने की कोशिश करती है, क्या इस संघर्ष में उसे अपनों का साथ मिलता है? ऐसे कई सवालों को ढूंढती कहानी है जया। प्यार, तकरार धोखे की ही नहीं बल्कि सामाजिक तानेबाने को भी बुनने समझने की कोशिश करती है फिल्म।

प्रीमियर पर माही श्रीवास्तव ने कहा, ”मेरी फिल्म ‘जया’ एक पारिवारिक फिल्म है। इसमें कई सामाजिक मुद्दों को उठाया गया, जैसे कि श्मशान घाट पर औरतों का जाना वर्जित… यह घर-घर की कहानी है। जिस किसी का भी बेटा नहीं होता है, तो उसकी मौत पर कहा जाता है कि उसके भाई या रिश्तेदार का बेटा मुखाग्नि देगा। मेरा सवाल है कि अगर बेटियां अंतिम संस्कार करेंगी, तो क्या पिता को मोक्ष नहीं मिलेगा?”

उन्होंने आगे कहा, ”बेटा हो या बेटी, उनका पालन-पोषण समान तरीके से किया जाता है, लेकिन जब कुछ चीजों को लेकर भेदभाव किया जाता है, तो यह मेरे हिसाब से पूरी तरीके से गलत है। किसी चीज को मानने से पहले आप उसको समझिए। यह फिल्म गलत और सही के बीच का अंतर बताएगी।”

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