प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में नालंदा के सिलाव प्रखंड के नेपुरा गांव के बुनकर नवीन कुमार के काम की सराहना की, जिसके बाद से पूरे गांव और बुनकर समाज में खुशी की लहर है। पीएम मोदी ने नवीन कुमार को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि कैसे उनका परिवार पीढ़ियों से इस काम से जुड़ा है और अब नई तकनीक को अपनाकर इस कला को आगे बढ़ा रहा है।
इस सराहना के बाद नवीन कुमार ने पीएम मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा, “आज तक किसी ने हम बुनकरों से इस तरह सीधे बात नहीं की। हमें उम्मीद है कि अब हम लोगों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा। हम लोग बचपन से इस पुश्तैनी काम से जुड़े हैं। हम हैंडलूम पर सिल्क की शर्टिंग, कुर्ता, साड़ियां और ड्रेस मटेरियल बनाते हैं। पहले हम जमीन में गड्ढा खोदकर बनाए गए ‘पिट लूम’ पर काम करते थे, लेकिन अब भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के एक प्रोजेक्ट के तहत नया फ्रेम लूम मिला है, जिसे छत पर भी लगाकर काम किया जा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि बुनकर कोटे के तहत यहां के बच्चे एनआईएफटी जैसे संस्थानों में पढ़ने जा रहे हैं, जो इस कला के भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत है। यहां पर एक बुनकर समिति है। वस्त्र मंत्रालय की ओर से इस समिति को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। हम लोग इससे जुड़कर बुनकर समाज के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं। हमसे 70-80 लोग जुड़े हुए हैं, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी हैं। ज्यादा बिक्री न होने के कारण हम लोगों के बच्चे बुनाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। हमें अच्छा लगा कि पीएम मोदी ने बुनकरों के मुद्दों पर बात की। हमें उम्मीद है कि बुनकरों के लिए जो भी लाभकारी योजना होगी, उसका लाभ मिलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि हमारा कपड़ा बिहार सरकार के उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के माध्यम से दिल्ली और पटना के मॉल में जाता है। लेकिन, वहां की शर्त होती है कि जब कपड़ा बिकेगा, तब पेमेंट मिलेगा। ऐसे में हम बुनकर अगली बार के लिए धागा कैसे खरीदें और अपना घर कैसे चलाएं?
बुनकर कालूराम ने कहा कि पीएम मोदी का आभार है कि उन्होंने ग्रामीण बुनकरों पर ध्यान दिया है। बुनकरों को एक स्थायी बाजार उपलब्ध कराने और उनकी मेहनत के अनुरूप मजदूरी न मिलने की समस्या पर ध्यान दिया जाए। बुनकरों के लिए एक पेंशन योजना शुरू की जाए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।
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