हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में मंगलवार शाम को 18 यात्रियों को ले जा रही एक निजी बस के भूस्खलन की चपेट में आने से कुछ क्षण पहले, 10 वर्षीय आरुषि अपने आठ वर्षीय भाई शौर्य के साथ खेलने के लिए पीछे की खाली सीटों पर चली गई थी।
यह फैसला जीवन रक्षक साबित हुआ, क्योंकि दोनों भाई-बहन ही बस में जीवित बचे। भरथिन के पास फगोग गाँव के मूल निवासी, आरुषि और शौर्य, अपनी माँ कमलेश और अपनी मौसी अंजना के साथ यात्रा कर रहे थे। उनके दो चचेरे भाई, जो अपनी माँ के साथ बैठना पसंद करते थे, भी दुर्घटना में मारे गए।
आरुषि याद करते हुए कहती हैं, “विस्फोट जैसी आवाज़ के साथ भारी मलबा बस पर गिरा। अचानक, कुछ ही सेकंड में सब कुछ अंधेरा हो गया।”
बचावकर्मी रमेश कुमार ने कहा कि मलबे के नीचे आरुषि को ज़िंदा पाना किसी चमत्कार से कम नहीं था। कुमार ने कहा, “आरुषि ने ही हमें बताया था कि शौर्य उसके साथ पिछली सीट पर था, और उसे भी बचा लिया गया।” उन्होंने आगे बताया कि भाई-बहनों को पाकर बचावकर्मी खुशी से रो पड़े क्योंकि इस हादसे में किसी के भी बचने की उम्मीद कम ही थी।
दोनों को बिलासपुर स्थित एम्स ले जाया गया। बुधवार सुबह उन्हें छुट्टी दे दी गई। शौर्य ने अपनी माँ का अंतिम संस्कार किया, जबकि आरुषि गमगीन थी। इस त्रासदी में परिवार के चार लोगों की जान चली गई।
बिलासपुर के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने जीवित बचे बच्चों के घर जाकर उनका हालचाल जाना और अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों को सहायता प्रदान की। उन्होंने शोकाकुल परिवारों को आश्वासन दिया कि जिला प्रशासन उन्हें समय पर सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है