N1Live National बर्थडे स्पेशल : इंदिरा गांधी का विरोध करने पर आपातकाल में गए थे जेल, कुलदीप नैयर को वीपी सिंह से मिला था बड़ा ईनाम
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बर्थडे स्पेशल : इंदिरा गांधी का विरोध करने पर आपातकाल में गए थे जेल, कुलदीप नैयर को वीपी सिंह से मिला था बड़ा ईनाम

Birthday Special: Kuldeep Nayyar was jailed during Emergency for opposing Indira Gandhi, got a big reward from VP Singh

नई दिल्ली, 14 अगस्त । भारतीय पत्रकारिता की जब बात होती है तो सबसे पहला नाम जहन में कुलदीप नैयर का आता है। कुलदीप नैयर देश के जाने-माने पत्रकार और लेखक थे। उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल का विरोध किया था। यही नहीं, उन्होंने प्रेस की आजादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा आवाज उठाई।

दरअसल, भारत के प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार कुलदीप नैयर का जन्म 14 अगस्त 1924, सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा सियालकोट में हुई। बाद में उन्होंने लाहौर से लॉ की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने पत्रकारिता की डिग्री ली।

कुलदीप नैयर की जन्मभूमि भले ही पाकिस्तान रही हो, लेकिन उनकी कर्मभूमि भारत रही। कुलदीप नैयर ने भारत में घटित हुई कई घटनाओं को बहुत करीब से देखा। उन्होंने देश के विभाजन से लेकर 15 अगस्त 1947 को मिली स्वतंत्रता को देखा। यही नहीं वह महात्मा गांधी की हत्या, भारत-चीन युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971) और आपातकाल की घटनाओं के गवाह बने।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक उर्दू प्रेस रिपोर्टर के तौर पर की। वह दिल्ली के समाचार पत्र द स्टेट्समैन के संपादक थे। और उन्हें आपातकाल का विरोध करने पर गिरफ्तार भी किया गया। वह 1990 में वीपी सिंह सरकार में ग्रेट ब्रिटेन के उच्चायुक्त भी बने। इसके बाद वह 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए जाने वाले भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1997 में पहली बार नैयर राज्यसभा सदस्य पहुंचे।

कुलदीप नैयर ने अपने जीवनकाल में कई किताबें लिखी। इनमें इंडिया हाउस (1992), इंडिया ऑफ्टर नेहरू (1975), डिस्टेंस नंबर्स, ए टेल ऑफ सबकॉन्टिनेंट (1972), द जजमेंट इनसाइड स्टोरी ऑफ इमरजेंसी इन इंडिया (1977), वाल एट वाघा-इंडिया पाकिस्तान रिलेशनशिप (2003) शामिल हैं।

कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा ‘बियॉन्ड द लाइंस’ (एक जिंदगी काफी नहीं) में कई अहम घटनाओं पर बात की। अपनी आत्मकथा में नैयर ने इस बात को माना कि उन्होंने अनौपचारिक रूप से लाल बहादुर शास्त्री को उनकी छवि मजबूत करने के बारे में सलाह दी। पंडित नेहरू की मौत के बाद उन्होंने ही यूएनआई में एक खबर लगाई थी, जिसमें यह कहा गया कि मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री पद की रेस में सबसे आगे हैं। हालांकि, उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद का दूसरा उम्मीदवार बताया था। इस खबर से मोरारजी देसाई की छवि को नुकसान पहुंचा और उनकी जगह लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने।

यही नहीं कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में ये भी दावा किया कि वीपी सिंह के जनता दल के अध्यक्ष चुने जाने के दौरान, जो हाईवोल्टेज ड्रामा हुआ था, उसकी स्क्रिप्ट उन्होंने ही लिखी थी। इसका इनाम बाद में उन्हें ब्रिटेन का उच्चायुक्त बनकर मिला।

उन्होंने अपने करियर के दौरान डेक्कन हेराल्ड, द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज़, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान समेत कई समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम भी लिखे।

कुलदीप नैयर को अपने जीवनकाल में कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। 23 नवंबर 2015 को उन्हें पत्रकारिता में आजीवन उपलब्धि के लिए रामनाथ गोयनका स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1978 में उन्होंने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की स्थापना की थी। पत्रकार और लेखक कुलदीप नैयर का 23 अगस्त, 2018 को दिल्ली के एस्कॉर्ट्स अस्पताल में निधन हो गया।

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