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गैर-मराठी भाषियों पर हमला मामला: राज ठाकरे के खिलाफ दायर की गई थी याचिका, सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

Attack on non-Marathi speakers case: Petition was filed against Raj Thackeray, Supreme Court refuses to hear

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) सुप्रीमो राज ठाकरे और उनकी पार्टी के खिलाफ गैर-मराठी भाषियों पर कथित हमलों के मामले में दायर एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में आगे नहीं बढ़ सकी। शीर्ष अदालत ने सोमवार को इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि गैर-मराठी भाषी लोगों पर हो रहे हमलों में राज ठाकरे की भूमिका रही है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि इस मामले में राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, चुनाव आयोग को निर्देश देकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द करने की अपील भी की गई थी।

याचिकाकर्ता का कहना था कि संबंधित अधिकारियों से कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई, जिसके चलते उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

याचिका में 5 जुलाई को शिवसेना (यूबीटी) नेता और राज ठाकरे के चचेरे भाई उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित विजय रैली का भी हवाला दिया गया। इसमें दावा किया गया था कि इस रैली में राज ठाकरे ने गैर-मराठी बोलने वालों की पिटाई को उचित ठहराया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट के वकील घनश्याम उपाध्याय ने यह याचिका दायर की थी। याचिका में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। उन्होंने आरोप लगाया था कि राज ठाकरे ने हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने और हिंसा भड़काने वाले बयान दिए। कहा गया कि केंद्र और महाराष्ट्र की सरकारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि राज और उनके राजनीतिक संगठन ऐसी घटनाओं को अंजाम न दें और इन घटनाओं से कठोरता से निपटा जाए।

याचिकाकर्ता ने भारत के चुनाव आयोग और महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग से एमएनएस की राजनीतिक मान्यता को वापस लेने का निर्देश देने की भी मांग की थी।

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