December 25, 2025
National

जन्मदिन विशेष: ठुमरी-ख्याल के जादूगर, जिन्होंने ‘श्रुतिनंदन’ से बनाई संगीत की खूबसूरत दुनिया

Birthday Special: The magician of Thumri-Khayal, who created a beautiful world of music with ‘Shrutinandan’

भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में पंडित अजय चक्रवर्ती एक कल्ट फिगर के रूप में जाने जाते हैं। पटियाला-कसूर घराने से संबंध रखने वाले संगीत के जादूगर उस्ताद बड़े गुलाम अली खान की गायकी की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं, लेकिन उनकी खासियत यह है कि वे सिर्फ एक घराने तक सीमित नहीं हैं।

पंडित अजय चक्रवर्ती इंदौर, दिल्ली, जयपुर, ग्वालियर, आगरा, किराना, और रामपुर जैसे उत्तर भारतीय घरानों के साथ ही दक्षिण भारत के कर्नाटक संगीत की बारीकियों को भी उतनी ही कुशलता से पेश करते हैं। उनकी गायकी ठुमरी और ख्याल दोनों में गहराई लिए होती है, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती है।

वह अपने संगीत के शानदार सफर को भगवान का आशीर्वाद मानते हैं। उनका जन्म एक साधारण, गैर-घरानेदार परिवार में हुआ था, लेकिन किस्मत ने उन्हें विजय किचलू जैसे गुरु से मिलाया, जो आगरा घराने के बड़े विद्वान थे। किचलू साहब की मदद से उन्हें कोलकाता में आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी का छात्र बनने का मौका मिला। यहां उन्होंने घरानों की असली गहराई को समझा। इस अकादमी में उनके साथी जैसे राशिद खान ने उन्हें प्रेरित किया, हालांकि, वह उम्र में छोटे थे।

अकादमी के भारत और विदेशी संगीत दौरों में उनकी मुलाकात कई दिग्गजों से हुई। इनमें पंडित हरिप्रसाद चौरासिया का भी नाम शामिल है। अजय चक्रवर्ती उन्हें घंटों बांसुरी बजाते देखा करते थे। इन अनुभवों ने उन्हें कड़ी रियाज की राह पर ला दिया। अपने लंबे संगीत सफर में सीखी हर बात को वह युवा पीढ़ी तक पहुंचाना चाहते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने अपना संगीत संस्थान ‘श्रुतिनंदन’ शुरू किया। श्रुतिनंदन कोई साधारण स्कूल नहीं है, बल्कि संगीत की खूबसूरत दुनिया का द्वार है। यहां छात्रों को सिर्फ गाना या वाद्य यंत्र बजाना नहीं सिखाया जाता, बल्कि किसी भी शैली के अच्छे संगीत की सराहना करना भी सिखाया जाता है।

ठुमरी में भावुकता और ख्याल में गहराई लाने वाले पंडित चक्रवर्ती का मानना है कि संगीत की सच्ची समझ तभी आती है जब आप कई घरानों और शैलियों को सम्मान दें।

एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद कहा था, “संगीत एक साधना है और संगीत संस्थान ‘श्रुतिनंदन’ का उद्देश्य संगीत की खूबसूरत दुनिया खोलना था। मैं उन्हें केवल गाना या वाद्य यंत्र बजाना ही नहीं सिखाता, बल्कि किसी भी शैली के अच्छे संगीत की सराहना करना भी सिखाता हूं।”

श्रुतिनंदन में दाखिला लेने की एक खास शर्त है। उन्होंने बताया था कि कोई भी जो संगीत में रुचि रखता है, वह श्रुतिनंदन में दाखिला ले सकता है। हालांकि, छात्रों को 5 से 11 साल की उम्र तक ही यहां प्रवेश मिलता है, इस उम्र के बाद प्रवेश नहीं दिया जाता, क्योंकि बचपन में ही संगीत की बुनियाद मजबूत बनाई जा सकती है।

श्रुतिनंदन ने कई प्रतिभाशाली संगीतकार दिए हैं, जो आज विभिन्न मंचों पर चमक रहे हैं। पंडित अजय चक्रवर्ती की गायकी में पटियाला घराने की बोल बनावट और तानें तो हैं ही, लेकिन अन्य घरानों की मिठास भी घुली-मिली है। उनके कार्यक्रम दुनिया भर में सराहे जाते हैं। वे न केवल एक गायक हैं, बल्कि संगीत के सच्चे साधक हैं, जो परंपरा को जीवंत रखते हुए नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं।

उनकी गायकी में विभिन्न घरानों की बारीकियां घुली-मिली हैं, जो उन्हें खास बनाती है। भारत सरकार ने संगीत जगत में उनके योगदान को सम्मानित करते हुए साल 2011 में पद्म श्री और साल 2020 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा था।

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