हिसार में महापौर का चुनाव दिलचस्प दौर में पहुंच गया है, जहां भाजपा के अंदर चल रही अंदरूनी कलह सामने आ गई है, क्योंकि भाजपा के बागी नेता, जिन्होंने पार्टी के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था, अब भाजपा में शामिल हो गए हैं।
जहां कुछ पार्टी नेता उनके पुनः प्रवेश का विरोध कर रहे हैं, वहीं अन्य चुनाव के मद्देनजर उन्हें वापस लाने के इच्छुक हैं।
पूर्व मंत्री कमल गुप्ता ने जहां उनके पुनः प्रवेश का विरोध किया, वहीं कुछ नेता शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनावों के मद्देनजर उन्हें वापस लेने के इच्छुक हैं।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि गुप्ता, जो निर्दलीय उम्मीदवार सावित्री जिंदल से भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव हार गए थे, उनकी वापसी का विरोध कर रहे थे, उनका तर्क था कि उन्होंने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, कुछ नेता आगामी चुनावों में वोट हासिल करने के महत्व को देखते हुए उनका स्वागत करने के इच्छुक थे।
इस मुद्दे के चलते कल मुख्यमंत्री का हिसार दौरा स्थगित होने से हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा शुरू हो गया है। गुप्ता ने कथित तौर पर बागी नेता तरुण जैन और पूर्व मेयर गौतम सरदाना को फिर से भाजपा में शामिल होने से रोक दिया है। दोनों ने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
हालांकि, कैबिनेट मंत्री और बरवाला विधानसभा क्षेत्र से विधायक रणबीर गंगवा जैन के आवास पर उनसे समर्थन मांगने पहुंचे। गंगवा की मौजूदगी में जैन ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की। सूत्रों ने बताया कि सरदाना भी चुनाव में भाजपा का समर्थन करने के इच्छुक हैं।
पार्टी नेतृत्व ने दोनों नेताओं को अंतिम निर्णय लेने से पहले गुप्ता के साथ सुलह करने का निर्देश दिया है। गंगवा ने विधानसभा चुनाव में 1,000 वोट हासिल करने की उनकी क्षमता का हवाला देते हुए जैन की वापसी की सिफारिश की थी। हालांकि, गुप्ता के अड़े रहने से पार्टी नेतृत्व अब दुविधा में है और उनके फिर से शामिल होने के राजनीतिक जोखिमों पर विचार कर रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि समर्थन देने के बावजूद जैन आधिकारिक तौर पर भाजपा में वापसी को लेकर अनिश्चित हैं। मीडिया को दिए गए बयान में उन्होंने कहा कि वे खुद को भाजपा का हिस्सा मानते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि वे कब पार्टी में शामिल होंगे।
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