भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के काफिले पर पथराव की घटना पर कहा कि अगर उनके साथ उनके सुरक्षाकर्मी नहीं होते तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी।
बुधवार को आईएएनएस से बातचीत के दौरान भाजपा सांसद ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब हमारे विधायकों और नेताओं पर हमला हुआ है। इससे पहले भी हमारे तीन विधायकों के साथ मारपीट की गई थी। इसी सिलसिले में सुवेंदु अधिकारी ने 60 विधायकों के साथ इलाके का दौरा करने की अनुमति मांगी थी। शुरुआत में पुलिस ने अनुमति नहीं दी थी, लेकिन बाद में अदालत के आदेश के आधार पर सुवेंदु अधिकारी पांच विधायकों के साथ उस जगह गए, जहां पर जानलेवा हमला किया गया।
भाजपा सांसद ने दावा किया कि अगर उनके पास सुरक्षा के जवान (सीआईएसएफ) नहीं होते तो वह जीवित नहीं बचते।
भाजपा सांसद ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि जिस राज्य में नेता विपक्ष को स्वतंत्र तौर पर घूमने की आजादी नहीं है, वहां आम जनता का क्या हाल होगा। राजनीति दल कैसे वहां पर टिके हुए हैं, यह समझने वाली बात है।
समिक भट्टाचार्य ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच चल रही कथित आपसी लड़ाई को टीएमसी का आंतरिक मामला बताया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी और पश्चिम बंगाल की जनता को इस मुद्दे में कोई रुचि नहीं है। भट्टाचार्य ने कहा कि यह टीएमसी का निजी मसला है और इसे दोनों नेताओं को आपस में बातचीत कर सुलझा लेना चाहिए।
बंगाली और बंग्लादेशी भाषा विवाद पर उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सभी बांग्ला में बात करते है, इसका यह मतलब थोड़ी है कि उनको भारतीय नागरिकता दे दी जाए। हाल ही में सीएम ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया था कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में दिल्ली पुलिस बंगाली को ‘बांग्लादेशी‘ भाषा बता रही है।