गढ़चिरौली-चिमूर , 5 अप्रैल । वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए मध्य भारत के माओवादी प्रभावित क्षेत्र और बाघों के गढ़, गढ़चिरौली-चिमूर (एसटी) आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में इस साल लोकसभा का चौथा चुनाव होने जा रहा है।
नई गढ़चिरौली-चिमूर (एसटी) सीट पर 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था। उस दौरान तीन बार के पूर्व विधायक और राज्य सरकार में पूर्व मंत्री कांग्रेस के मारोत्राव एस. कावासे भारी अंतर से चुने गए थे।
लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली 2014 की भाजपा लहर में सब कुछ बदल गया। कावासे को भाजपा के अशोक नेते ने हरा दिया। उन्होंने 2019 में आसानी से यह उपलब्धि दोहराई और अब तीसरी बार जीत का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
नेते का मुकाबला महा विकास अघाड़ी-इंडिया ब्लॉक के कांग्रेस उम्मीदवार नामदेव डी. क्रिसन और प्रकाश अंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के हितेश पी. मडावी के अलावा अखिल भारतीय भीम सेना (एबीबीएस) से है। मतदान 19 अप्रैल को है।
निर्वाचन क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर और कांग्रेस व वीबीए की मजबूत दावेदारी के कारण नेते के लिए मुकाबला आसान नहीं है।
2019 में, नेते ने कांग्रेस के नामदेव उसेंडी के खिलाफ 5.19 लाख वोट हासिल किए थे। उसेंडी को 4.42 लाख वोट मिला था। इसके अलावा वीबीए के रमेश गजबे और बीएसपी के एचएस मंगम को क्रमश: 1.11 लाख व 28 हजार वोट मिले थे।
परिसीमन से पहले और 1967 के बाद से, यह सीट पांच बार कांग्रेस ने, चार बार भारतीय जनता पार्टी ने और एक बार पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (पीआरपीआई) ने जीती थी।
इस क्षेत्र से चुने गए सबसे प्रमुख व्यक्ति विलास बी. मुत्तेमवार थे। वे सात बार के सांसद थे। उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में दो बार मंत्री के रूप में काम किया था।
गढ़चिरौली-चिमूर (एसटी) लोकसभा सीट छह विधानसभा क्षेत्रों से बनी है। इनमें से तीन पर भाजपा का व दो पर कांग्रेस का व एक पर अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का कब्जा है। ).
इनमें चिमूर (भाजपा विधायक बंटी भांगडिया), अरमोरी (एसटी) (भाजपा, विधायक कृष्णा गजबे), गढ़चिरौली (एसटी) (भाजपा विधायक देवराव होली), अहेरी (एसटी) (एनसीपी, विधायक धरमरावबाबा अत्राम), आमगांव (एसटी) (कांग्रेस विधायक सहसराम कोरोटे), और ब्रह्मपुरी (कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार) शामिल हैं।
लाल आतंक के लिए कुख्यात गढ़चिरौली का नाम पिछले साल तब प्रमुखता में आया, जब जिले और निकटवर्ती चंद्रपुर से सर्वोच्च गुणवत्ता वाली सागौन की लकड़ी अयोध्या में भगवान राम मंदिर के निर्माण के लिए भेजी गई थी।
चिमूर जनवरी-फरवरी में आयोजित होने वाली अपनी वार्षिक 249 साल पुरानी घोड़ा यात्रा, दो प्रमुख बाघ अभयारण्यों, जंगल सफारी और रिसॉर्ट्स और अन्य आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध है।
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