पिछले सदस्यता अभियान में आठ लाख लोगों के नामांकन के बाद भाजपा इस बार हिमाचल प्रदेश में 16 लाख सदस्यों का लक्ष्य हासिल करने की तैयारी में है। यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर से मौजूदा सांसद अनुराग ठाकुर ने शनिवार शाम कांगड़ा जिले के फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की सदस्यता अभियान कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही।
ठाकुर का फतेहपुर के राजा का तालाब में पूर्व मंत्री राकेश पठानिया के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने मौजूदा सदस्यता अभियान के दौरान देश में 28 करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछली बार यह संख्या 18 करोड़ थी।
फतेहपुर मंडल के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा विश्व भर में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरी है।
उन्होंने कहा कि एक समय 400 लोकसभा सीटें जीतने वाली कांग्रेस हाल के आम चुनावों में केवल 100 सीटों पर सिमट गई, इसका कारण पार्टी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और मोदी सरकार की पिछली दो कार्यकालों के दौरान शुरू की गई जन-हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों का प्रभाव है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए केवल मोदी सरकार ने ही एसआईटी का गठन किया था। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ झूठा आरोप लगाया कि देश में सिख पगड़ी या कड़ा नहीं पहन सकते।
ठाकुर ने दावा किया कि पिछले साल मानसून की आपदा के दौरान केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को 12,000 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन राज्य सरकार इस वित्तीय सहायता का उपयोग करने में विफल रही। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर शिमला में हुए विरोध प्रदर्शन को ठीक से नहीं संभाला, जिससे राज्य के अन्य हिस्सों में अशांति फैल गई।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री सुखविदर सिंह सुक्खू वित्तीय स्थिति की खराब स्थिति के लिए पिछली भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, क्योंकि पिछली सरकार ने राज्य भर में कई संस्थान खोले थे। तत्कालीन भाजपा सरकार ने इन संस्थानों को व्यापक जनहित में खोला था, लेकिन कांग्रेस ने दिसंबर 2022 में सत्ता में आने के बाद राज्य में संस्थानों को डी-नोटिफाई कर दिया और यहां तक कि उनके कार्यात्मक कार्यालयों को भी बंद कर दिया।”