भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला ने आज आईआईएएस में टैगोर फेलो और लोक भाषाओं के प्रतिष्ठित विद्वान प्रोफेसर ओम प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक “हिमाचली पहाड़ी भाषा: लिपियाँ और लोकसाहित्य” का लोकार्पण किया।
हिमाचल प्रदेश की पर्वतीय भाषाओं, लिपियों और लोक साहित्य के व्यापक अध्ययन पर आधारित यह पुस्तक, क्षेत्र की भाषाई परंपराओं, सांस्कृतिक विविधता और लोक जीवन की भावनात्मक गहराई का व्यापक अन्वेषण प्रस्तुत करती है।
समारोह की अध्यक्षता आईआईएएस की अध्यक्ष प्रो. शशिप्रभा कुमार ने की, जबकि संस्थान के निदेशक प्रो. हिमांशु कुमार चतुर्वेदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के सम्मान से हुई, जिसके बाद प्रो. शर्मा ने एक आकर्षक प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने अपनी शोध प्रक्रिया और पुस्तक के पीछे की प्रेरणा के बारे में जानकारी साझा की। इसके बाद पुस्तक का औपचारिक विमोचन किया गया।
हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के पूर्व सचिव डॉ. कर्म सिंह ने पुस्तक की गहन समीक्षा प्रस्तुत करते हुए इसे हिमाचली बोलियों की संरचना और लोक अभिव्यक्तियों को समझने का एक वैज्ञानिक और व्यावहारिक प्रयास बताया। ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान, नेरी के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने इसे हिमाचली लोक परंपराओं की पुनर्व्याख्या की दिशा में एक बहुमूल्य योगदान बताया।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में संस्कृत की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विद्या शारदा ने कहा कि यह कृति लोक ज्ञान और भाषाई विविधता के बीच के संबंध को खूबसूरती से दर्शाती है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. राधा रमन शास्त्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह के शोध-आधारित कार्य भारत की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित और समृद्ध करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।