May 9, 2025
Himachal

ऊना के ब्रह्मोती में ब्रह्मा जी ने डाली थीं आहुतियां, बैसाखी पर स्नान करने से धुलते हैं पाप

Brahma Ji had offered sacrifices in Brahmoti of Una, sins are washed away by taking bath on Baisakhi

हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना की शिवालिक की खूबसूरत पहाड़ियों के बीचों-बीच स्थित है ब्रह्मा जी का अद्वितीय मंदिर- ब्रह्माहुति। मान्यता है कि यहीं भगवान ब्रह्मा ने अपने सौ पौत्रों के उद्धार के लिए आहुतियां डाली थीं।

यहां स्थित ब्रह्मकुंड में स्नान करके अगर कोई सच्चे दिल से प्रार्थना करता है, तो उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। खास तौर पर बैसाखी के दिन यहां स्नान और दर्शन का विशेष महत्व होता है। इस बार भी बैसाखी पर हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे और पुण्य अर्जित किया।

कहा जाता है कि पूरे देश में भगवान ब्रह्मा जी के केवल दो ही प्रमुख मंदिर हैं- एक राजस्थान के पुष्कर में और दूसरा हिमाचल प्रदेश के ऊना में। ऊना की शिवालिक पहाड़ियों में स्थित यह मंदिर “ब्रह्माहुति” के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां अपने पौत्रों की मुक्ति के लिए देवी-देवताओं के साथ आहुतियां दी थीं। इस मंदिर के पास बहती सतलुज नदी को पुराने समय में “ब्रह्म गंगा” कहा जाता था। नदी के किनारे बना ब्रह्म कुंड बेहद पवित्र माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बैसाखी जैसे पावन पर्व पर यहां स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु यहां भगवान ब्रह्मा के दर्शन करने और पुण्य कमाने उमड़ पड़ते हैं।

ब्रह्माहुति मंदिर के सेवादार महेशगिरी ने आईएएनएस से कहा कि यह स्थान बहुत ही प्राचीन और पवित्र है। हर वर्ष बैसाखी के अवसर पर हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं, जो भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से स्नान करते हैं, ब्रह्मा जी उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव सहित अन्य देवी-देवताओं के साथ यज्ञ करके आहुतियां दी थीं। यही कारण है कि इस क्षेत्र को ब्रह्मोती नाम से जाना जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव यहां शिवलिंग रूप में प्रतिष्ठित हुए और तभी से यह स्थान “छोटे हरिद्वार” के रूप में विख्यात हो गया। शास्त्रों में उल्लेख है कि ब्रह्माव्रत क्षेत्र के चार द्वारों में से पश्चिमी द्वार पर स्थित है ब्रह्मावती- यानी ब्रह्मोती। ऐसा भी माना जाता है कि यहीं पर सृष्टि की रचना के साथ धर्म, ज्ञान, तप और सदाचार की प्रेरणा दी गई थी।

इतिहासकार गणेश दत्त ने कहा, “पांडवों का अज्ञातवास इन्हीं पहाड़ियों में माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों ने यहां रात के समय स्वर्ग जाने के लिए पांच पौड़ियां (सीढ़ियां) बनानी शुरू की थीं, लेकिन एक बूढ़ी औरत के जाग जाने से वे केवल ढाई पौड़ियां ही बना सके। ये ढाई पौड़ियां आज भी ब्रह्मकुंड में देखी जा सकती हैं।”

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