लखनऊ, 11 सितंबर । लोकसभा चुनाव में बसपा से दलित वोट खिसकने के बाद मायावती इन्हें संजोने में जुट गई हैं। आज-कल वह आरक्षण के मुद्दे पर सबसे ज्यादा आक्रामक नजर आ रही हैं। लेकिन, वह इस मामले में सत्तारूढ़ दल भाजपा पर नहीं बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस को ज्यादा कठघरे में खड़ा कर रही हैं।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में जीरो पर आउट होने के बाद बसपा का ग्राफ और तेजी से नीचे चला गया। इस बार उनका मूल वोटर उनसे कटकर विपक्ष के पाले, वो भी खासकर कांग्रेस में जाता दिखाई दिया है। बढ़ती चिंता के कारण अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सबसे पहले और सबसे ज्यादा विरोध मायावती ने ही जताया। इस मुद्दे पर उन्होंने भाजपा को कानून बनाने की सलाह दी, वहीं कांग्रेस को घेरने का काम किया।
जानकार बताते हैं कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आरक्षण को लेकर अमेरिका में दिए गए बयान को बसपा ने लपक लिया है। अब वो इसे चुनाव में इस्तेमाल करके अपने वोटर को जागरूक करेगी। पार्टी इसको उपचुनाव में भी मुद्दा बनाएगी।
बसपा के सूत्र बताते हैं कि आरक्षण के मुद्दे को लेकर पहले ही पार्टी की ओर से निर्देश है कि इसे दलितों के बीच मजबूती से पहुंचाया जाना चाहिए। दलित वोट बैंक में बिखराव मायावती के लिए सबसे बड़ी चिंता है। उसे वह हर हाल में पाना चाहेंगी। इसी कारण वह राहुल गांधी पर भी खुलकर हमले करने में पीछे नहीं हट रही हैं। अध्यक्ष चुने जाने के बाद की बैठक में मायावती के तेवरों से लगता है कि वो एक बार फिर अपने कोर मुद्दे को लेकर बहुजन समाज की तरफ लौटना चाह रही हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और दलित चिंतक प्रोफेसर कालीचरण कहते हैं कि मंडल कमीशन समेत जितने भी ऐसे मुद्दे रहे हैं, सबकी जड़ कांग्रेस रही है। लोकसभा चुनाव में बसपा का मूल वोटर खिसक कर गठबंधन की ओर चला गया है। उसे वापस लाने के लिए मायावती कोशिश कर रही हैं। कांग्रेस ने बसपा के सारे मुद्दे चोरी कर लिए, जिस कारण बसपा को नुकसान हुआ है। मायावती इस बात को जान गई हैं। अब बसपा को खोई जमीन वापस लेनी है। संविधान और जातीय जनगणना जैसे मुद्दे बसपा के हुआ करते थे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता अगर आरक्षण के प्रति संजीदा होते तो इन मुद्दों को अपनी सरकार के जमाने में हल कर सकते थे। लेकिन, ऐसा किया नहीं। अब वह महज वोट बरगलाने के लिए इन मुद्दों पर बोल रहे हैं। अमेरिका में राहुल गांधी ने आरक्षण मुद्दे पर बोलकर अपना नुकसान किया है। जबकि, कुछ दिन पहले संघ प्रमुख सार्वजनिक मंच पर आरक्षण के पक्षधर दिखे। इस कारण राहुल गांधी को इसका नुकसान होगा।
एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक रविकांत कहते हैं कि मायावती का दलित वोट खिसकर कांग्रेस की ओर चला गया है। उन्हें अपना वोट बैंक बचाना है। इसी कारण वह कांग्रेस पर ज्यादा प्रहार कर रही हैं। वह सत्ता को खुश रखकर अपना वोट बैंक भी बचाना चाहती हैं।
राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि बसपा का मूल वोट जाटव इस चुनाव में छिटकता नजर आया है। यह वोट बसपा में कांग्रेस से आया था। दलित और मुस्लिम वोट एक जमाने में कांग्रेस में था। जब से यूपी कांग्रेस कमजोर हुई है तब से दलित वोट बसपा के पास और मुस्लिम वोट सपा के पास खड़ा नजर आया है। बसपा को कांग्रेस से ज्यादा खतरा है, वो अपने दलित वोट को बरकरार रखना चाहती है।
Leave feedback about this