January 9, 2025
National

भोपाल गैस हादसे का कचरा जलाने से पर्यावरण पर नहीं पड़ेगा कोई दुष्प्रभाव : मोहन यादव

Burning the waste of Bhopal gas accident will not have any side effect on the environment: Mohan Yadav

भोपाल, 2 जनवरी । मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चार दशक पहले हुए यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के कचरे को जलाए जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साफ कर दिया है कि इस रासायनिक कचरे को लेकर किसी भी तरह की आशंका नहीं है क्योंकि इसका पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ज्ञात हो कि इस रासायनिक कचरे को कंटेनरों के जरिए सुरक्षित तौर पर पीथमपुर ले जाया गया है। जहां इस कचरे को जलाया जाना है। भोपाल से लेकर पीथमपुर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और कंटेनरों को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच भोपाल से बुधवार की रात रवाना किया गया।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गुरुवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए बताया कि अब से 40 साल पहले जब यह हादसा हुआ था तब वह स्वयं भोपाल में थे और उन्होंने इस हादसे की विभीषिका को भी देखा था। भोपाल गैस कांड की घटना बेहद भयानक थी।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पीथमपुर में रासायनिक कचरा जलाए जाने पर अपनी बात रखी और कहा, “हमारी सरकार ने पूरी संवेदनशीलता के साथ जहरीले कचरे के निपटान का फैसला लिया है। भोपाल गैस हादसे की घटना को 40 साल हो चुके है। कचरे को लेकर कई तरह की आशंका है।”

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आगे कहा, “भोपाल के लोग पिछले 40 साल से इसी कचरे के साथ रह रहे हैं, भारत सरकार की कई संस्थाओं के द्वारा कचरे का परीक्षण किया गया है।”

मुख्यमंत्री यादव ने आगे कहा, “इस कचरे को पीथमपुर में जलाने जा रहे है। उसका पहले भी ड्राई रन कर चुके है, जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने इस कचरे को नष्ट करने के निर्देश दिए थे, इस रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि इस कचरे के जलने से पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगस्त 2015 में यूनियन कार्बाइड के कचरे का ड्राई रन किया गया था। परीक्षण में जो रिपोर्ट आई है उसके मुताबिक कचरा जलाने से वातावरण में किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने कचरा जलाने के लिए निर्देशित किया।”

ज्ञात हो कि 23 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई थी और उसके बाद लाखों लोग इसका दुष्प्रभाव झेल रहे हैं। इतना ही नहीं यह रासायनिक कचरा 40 सालों से संयंत्र में दफन था जिसे पीथमपुर में जलाया जाने वाला है।

Leave feedback about this

  • Service