लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के बाहर से एक कारोबारी मोहन विश्वकर्मा का हथियार के दम पर अपहरण किया गया। उसे एक गैरेज में बंधक बनाकर रखा गया। अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए आरोपियों ने कारोबारी को कई यातनाएं दीं। उसके साथ मारपीट की गई, उसे करंट लगाया गया। यही नहीं, उसका नग्न वीडियो भी बनाया गया।
कारोबारी किसी तरह वहां से भागने में सफल रहा और उसने पुलिस को घटना के बारे में सारी जानकारी दी। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया। वहीं बाकी आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।
पीड़ित कारोबारी ने सभी आरोपियों के नाम और उनसे जुड़ी जानकारी दी। हैरान करने वाली बात यह है कि आरोपियों में जीआरपी कांस्टेबल आलोक तिवारी भी शामिल था।
पुलिस ने पीड़ित द्वारा बताए गए आरोपी आलोक तिवारी, संजय सिंह और विनय सिंह और उनके 10 अज्ञात सहयोगियों के खिलाफ हत्या के प्रयास, अपहरण, दंगा करने, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, जानबूझकर अपमान करने और आपराधिक धमकी देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है।
एसीपी चौक आईपी सिंह ने बुधवार को कहा, “तिवारी एक जीआरपी कांस्टेबल है, जिसे मंगलवार को गिरफ्तार किया गया।”
जानकारी के मुताबिक, पीड़ित मोहन विश्वकर्मा एक कार डीलर है, वहीं तिवारी ग्राहक लाने में मदद करता था। कुछ समय पहले आर्थिक विवाद के चलते दोनों अलग हो गए थे। पुलिस को आशंका है कि घटना के पीछे इसी विवाद का हाथ है।
विश्वकर्मा ने एफआईआर में कहा कि वह 2 जुलाई की रात अपनी भतीजी की देखभाल के लिए ट्रॉमा सेंटर में थे, जिसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई।
कारोबारी ने कहा, “मैं अस्पताल के गेट के पास खड़ा था, कि तभी तिवारी और उसके साथी एक एसयूवी में आए और मुझे अगवा कर लिया। वे मुझे एक गैरेज में ले गए जहां उन्होंने मुझे पीटा, मुझे बिजली का झटका दिया और मेरा नग्न वीडियो बनाया।”
फिर वे उसे एक संजय सिंह के घर ले गए जहां उन्होंने मुझे अपने घर से 10 लाख रुपये लाने के लिए कहा। हालांकि, मैं उन्हें चकमा देने में कामयाब रहा और विभूति खंड पुलिस स्टेशन पहुंचा, जिसके बाद पुलिस ने मेरी मदद की।
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